दिन को बंदर, रात को सूअरों की पहरेदारी

कुटलैहड़ में लावारिस पशुओं का कहर; किसानों की फसलों को कर रहे बर्बाद, बागबान भी परेशान

बंगाणा -महंगे बीज, महंगी बिजाई के साथ ही अपनी जीतोड़ मेहनत करने के बाद भी किसान के हाथ खाली ही दिखाई दे रहे हैं। किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए मेहनत कर रहा है, लेकिन जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक के आगे इन किसानों की पूरी मेहनत पर पानी फिर चुका है। यहां हम बात कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र की कर रहे हैं। वर्तमान में क्षेत्र के किसान दिन को शरारती बंदरों और लंगूरों के आतंक से परेशान हैं। दिन के समय यह बंदर और लंगूर किसानों की मक्की की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हालांकि दिन के समय तो किसान जैसे-तैसे कर समय निकालकर कुछ हद तक अपनी फसलों को बचाने में सफल भी हो रहे हैं, लेकिन क्षेत्र के कई स्थानों पर रात को भी किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। रात के समय जंगली सूअर किसानों की मक्की की फसल को बर्बाद कर रहे हैं। इससे रात के समय भी अब किसानों की नींद गायब हो चुकी है, लेकिन इस समस्या को लेकर न ही सरकार, न ही संबंधित विभाग चिंतित दिख रहा है। हालांकि इस समस्या के बारे में सरकार व विभाग की भलिभांति अवगत है लेकिन उसके बावजूद भी इस ओर अभी तक कोई भी उचित कदम नहीं उठ पाए हैं। इस समस्या को किसान संगठन भी अपने स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष उठा चुके हैं, लेकिन उन्हें भी मात्र आश्वासन ही मिल पाए हैं।

क्या कहता हैं किसान संगठन

राष्ट्रीय किसान संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री देसराज मोदगिल, प्रदेश महामंत्री अनिल सागर, प्रदेश कोष प्रमुख ठाकुर कर्म सिंह, प्रदेश कार्यालय सचिव रमेश सोनी, जिला महामंत्री प्रकाश चंद शर्मा, केसी शर्मा, राममूर्ति शर्मा, पंडित प्रेम दास, पंडित राम लोक, किष्णू राम भाटिया, सुरेंद्र ठाकुर, जयपाल शर्मा, आरसी शर्मा, दुर्गादास वर्मा, श्याम लाल शर्मा, देसराज शर्मा ने कहा कि सरकार को जंगली जानवरों के आतंक से किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए, ताकि किसानों को नुकसान न झेलना पड़े। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस ओर उचित कदम उठाए जाएं।

बारिश ने तबाह की फसलें

चिंतपूर्णी। शुक्रवार को चिंतपूर्णी व आस पास के क्षेत्रों के हुई मूसलाधार बारिश व तूफान से लोगों की फसलों को भारी क्षति पहुंची है। स्वतंत्र किसान मोर्चा मंडल अध्यक्ष ठाकुर होशियार सिंह का कहना है कि बारिश व तूफान से क्षेत्र में मक्की की फसल से किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है। बंदरों से किसानों ने पहरा देकर जो फसल बचाई वह भी बारिश और तूफान की भेंट चढ़ गई है, जिस कारण किसानों में मायूसी छाई हुई है।