दिल्ली में छलकेगा विस्थापितों का दर्द

By: Sep 23rd, 2019 12:03 am

पौंग प्रभावितों के लिए हाई पावर कमेटी चार को करेगी चर्चा, अब तक के प्रयासों पर बात करेंगे अधिकारी

 शिमला –पौंग विस्थापितों को राहत देने के मामले में अब हाई पावर कमेटी की बैठक चार अक्तूबर को दिल्ली में बुलाई गई है। इस कमेटी की बैठक काफी समय के बाद हो रही है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर बनी थी। इससे पूर्व हाई कोर्ट के आदेशों के बाद कुछ विस्थापितों को राजस्थान में जमीन देने के लिए वहां आबंटन हुआ था, लेकिन जो रेशो तय की गई थी, उसके मुताबिक वहां पर जमीन के मुरब्बे नहीं मिल पाए। बताया जा रहा है कि अभी भी पौंग बांध विस्थापितों को वहां दूरदराज के क्षेत्रों में ही जमीन दिखाई जा रही है, जिसे यहां के लोग लेने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनकी उपजाऊ जमीन इस बांध के निर्माण में गई थी, लिहाजा वे भी ऐसी ही जमीन नजदीक में चाहते हैं। कई साल बीतने के बाद भी उनको न्याय नहीं मिल पा रहा है। मामला अभी सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में है और सुप्रीम कोर्ट को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाना है। इसलिए हाई पावर कमेटी की बैठक होने जा रही है, जिसमें अब तक किए गए प्रयासों के बारे में चर्चा होगी। हाल ही में राजस्थान के बीकानेर के साथ लगते क्षेत्रों में जमीन का आबंटन करने की प्रक्रिया चलाई गई थी, लेकिन वहां पर भी तय रेशो के अनुसार उतने मुरब्बे नहीं दिए जा सके। यहां पर विस्थापित भी अब ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, क्योंकि उतनी संख्या में लोग भी वहां नहीं गए। अब देखना यह है कि सरकार नए सिरे से हाई पावर कमेटी में अपना क्या पक्ष रखती है। हिमाचल का मत है कि उसके विस्थापितों को नजदीक में उपजाऊ जमीन दी जाए, ताकि ये लोग अपना जीवन यापन भी कर सकें। पौंग विस्थापितों की कई पीढि़यां निकल गई हैं, जिन्हें न्याय नहीं मिल पाया है। नई पीढ़ी अब जमीन का मुआवजा ही चाहती है, क्योंकि वे लोग राजस्थान जाकर नहीं बसना चाहते। इसलिए कई पहलू हैं, जिन पर सरकार को न्याय के लिए पक्ष रखना होगा। मामला सुप्रीम कोर्ट तय करेगा।

सुप्रीम कोर्ट जाएगी रिपोर्ट

अब हिमाचल और राजस्थान सरकार इस मुद्दे पर क्या बोलते हैं, इस पर विस्तार से चर्चा के बाद रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने जाएगी। अभी भी वहां आठ हजार से ज्यादा मुरब्बे लोगों को दिए जाने हैं। विस्थापितों को उनका हक नहीं दिया जा रहा है। उनको जमीन के बदले में पैसा देने की मांग हिमाचल की ओर से रखी गई थी, जो भी पूरी नहीं हुई है।


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