नाना के घर जाने को खुद की किडनैपिंग

बल्ह के दस साल के बच्चे ने खुद ही लिख दी अपने अपहरण की स्क्रिप्ट

नेरचौक –उपमंडल बल्ह के एक निजी स्कूल के पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र की मनगढ़ंत कहानी ने स्कूल प्रबंधन व पुलिस की कड़ी परेड करवाई। शुक्रवार को जब स्कूल में छोटे बच्चों को छुट्टी हुई तो डडौर में एक निजी स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाला छात्र घर नहीं पहुंचा। वह घर जाने की बजाय अपने नाना के घर जा पहुंचा। 10 वर्षीय बच्चे ने अपने नाना को बताया कि मुझे दो नकाबपोश व्यक्ति गाड़ी में किडनैप कर धनोटू ले आए और नहर में फेंकने का प्रयास किया, मगर मैं उन्हें चकमा देकर भाग निकला। नाना ने बात को सच मानते हुए इस बात की सूचना धनोटू पुलिस पोस्ट में आकर दी। इस पर प्रदेश भर में पुलिस को हाई अलर्ट पर कर दिया गया। पुलिस जांच करने के लिए छात्र को स्कूल ले आई। बच्चे से पूछताछ शुरू की गई कि कहां से उसे किडनैप किया गया तो बच्चा अपनी बात पर अडिग रहा। उसने पुलिस की उलझन में डालता रहा कि उसे काले रंग की आल्टो कार में दो नकाबपोश व्यक्ति स्कूल परिसर के अंदर से उठाकर ले गए और धनोटू नहर के पास जब नहर में फेंकने लगे तो मैं उन्हें चकमा दे भाग निकला। पुलिस व स्कूल प्रबंधन ने परिसर में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, लेकिन स्कूल परिसर में नकाबपोश के घुसने जैसी कोई बात सामने नहीं आई। पुलिस और स्कूल प्रबंधन देर रात तक बच्चे की कथनी के मुताबिक हर पहलू से जांच में जुटे रहे । पुलिस स्कूल सहित पूरे क्षेत्र में पूरे सीसीटीवी कैमरे खंगालती रही। नाना अपनी बेटी और बच्चे को देर रात घर ले गए। सुबह जब उसे घर में बार-बार पूछा गया तो उसने कहानी को बदलते हुए बताया कि मुझे दो दिन की छुट्टियां थी, तो मैं नाना के घर जाना चाहता था और आप मुझे भेज नहीं रहे थे। इसके लिए मैंने स्कूल के पास ही झाडि़यों में बैग को छिपाकर डडौर बस स्टैंड से निजी बस ले नाना के घर आ पहुंचा। बच्चे की इस कहानी ने पुलिस सहित क्षेत्र के लोगों को दहशत में डाल दिया था, लेकिन जब सच्चाई सामने आई तो सब बच्चे की चतुराई देख हतप्रभ रह गए। वहीं एसएचओ बल्ह ने बताया कि बच्चे के किडनैपिंग मामले में कुछ भी सामने नहीं आया है। चतुर बच्चे द्वारा ऐसे ही मनगढ़ंत कहानी बना डाली थी कि उसे दो नकाबपोश व्यक्तियों द्वारा किडनैप कर लिया गया है, जबकि बच्चा छुट्टी के बाद स्कूल से भाग सीधे अपने नाना के घर पहुंच गया था। उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों की मनोवृति को पहचानने का प्रयास करने तथा उन्हें टीवी-मोबाइल का प्रयोग कम करने और उन पर निगरानी रखने का आग्रह किया है, ताकि दोबारा इस प्रकार की घटना की पुनरावृति न हो पाए।