परिस्थितियों से उबरना

By: Sep 21st, 2019 12:15 am

श्रीराम शर्मा

जिंदगी है तो संघर्ष हैं, तनाव है, काम का दबाव है, लेकिन अच्छी बात यह है कि ये सभी स्थायी नहीं है। समय रूपी नदी के प्रवाह में से सब प्रवाहमान है। कोई भी परिस्थिति चाहे खुशी की हो या गम की, कभी स्थायी नहीं होती, समय के अविरल प्रवाह में विलीन हो जाती है।  ऐसा अधिकतर होता है कि जीवन की यात्रा के दौरान हम अपने आप को कई बार दुःख, तनाव, चिंता, डर, हताशा, निराशा, भय, रोग इत्यादि के जाल में फंसा हुआ पाते हैं। हम तत्कालिक परिस्थितियों के इतने वशीभूत हो जाते हैं कि दूर-दूर तक देखने पर भी हमें कोई प्रकाश की किरण मात्र भी दिखाई नहीं देती, दूर से चींटी की तरह महसूस होने वाली परेशानी हमारे नजदीक आते-आते हाथी के जैसा रूप धारण कर लेती है और हम उसकी विशालता और भयावहता के आगे समर्पण कर परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी हो जाने देते हैं,वो परिस्थिति हमारे पूरे वजूद को हिला डालती है। एक-एक क्षण पहाड़ सा प्रतीत होता है और हममे से ज्यादातर लोग आशा की कोई किरण न देख पाने के कारण हताश होकर परिस्थिति के आगे हथियार डाल देते हैं। अगर आप किसी अनजान, निर्जन रेगिस्तान मे फंस जाएं, तो उससे निकलने का एक ही उपाय है बस चलते रहें। अगर आप नदी के बीच जाकर हाथ पैर नहीं चलाएंगे, तो निश्चित ही डूब जाएंगे। जीवन मे कभी ऐसा क्षण भी आता है, जब लगता है कि बस अब कुछ भी बाकी नहीं है, ऐसी परिस्थिति में अपने आत्मविश्वास और साहस के साथ सिर्फ  डटे रहें, क्योंकि हर चीज का हल होता है, आज नहीं तो कल होता है। एक बार एक राजा की सेवा से प्रसन्न होकर एक साधू ने उसे एक ताबीज दिया और कहा की राजन इसे अपने गले में डाल लो और जिंदगी में कभी ऐसी परिस्थिति आए की जब तुम्हें लगे की बस अब तो सब खत्म होने वाला है, परेशानी के भंवर में अपने को फंसा पाओ, कोई प्रकाश की किरण नजर न आ रही हो, हर तरफ  निराशा और हताशा हो तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसमें रखे कागज को पढ़ना, उससे पहले नहीं।  राजा ने वह ताबीज अपने गले में पहन लिया। एक बार राजा शिकार खेलने जंगल में गया और बुरी तरह फंस गया। उसे लगा कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं रहा तो उसे साधु की बात याद आई और उसने अपने गले में हाथ लगाया और ताबीज को खोलकर देखा, तो उसमें जो पर्ची थी उस पर लिखा था कि ये भी कट जाएगा। राजा को इसे पढ़ते ही एक सुखद एहसास हुआ मानो कोई मुसीबत है ही नहीं। जब ऐसा हो तो 2 मिनट शांति से बैठिए, थोड़ी गहरी गहरी सांस लीजिए! अपने आराध्य को याद कीजिए और स्वयं से जोर से कहिए, यह भी कट जाएगा। आप देखिएगा एकदम से जादू सा महसूस होगा और आप उस परिस्थिति से उबरने की शक्ति अपने अंदर महसूस करेंगे।


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