फर्श पर एक घंटा तड़पती रही बुजुर्ग

By: Sep 22nd, 2019 12:20 am

पांवटा साहिब सिविल अस्पताल में पेश आया हैरान कर देने वाला मामला, मानवता हुई शर्मसार

पांवटा साहिब –पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है। यहां पर एक वृद्व महिला इलाज के अभाव में करीब एक घंटे तक फर्श पर तड़पती रही, लेकिन अस्पताल में तैनात चिकित्सक ने उसे भर्ती करने की वजाय निजी लैब से टेस्ट करवाना जरूरी समझा। मामला मीडिया के संज्ञान में आने पर एसएमओ तक पहुंचा। तब कहीं जाकर पैरालाइज से ग्रसित वृद्ध महिला को अस्पताल में एडमिट किया गया। मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार को शिलाई क्षेत्र से पैरालाइज से पीडि़त 60 वर्षीय महिला तुलसा देवी पत्नी जालम सिंह की हालात खराब होने पर शिलाई अस्पताल से पांवटा सिविल अस्पताल के लिए रैफर कर दिया। रैफर की गई महिला तुलसा देवी को 108 की सहायता से सिविल अस्पताल लाया गया जो कि करीब पौने चार बजे सिविल अस्पताल पहुंची। महिला को आपातकाल वार्ड में लाया गया, जहां पर एक चिकित्सक द्वारा पैरालाइज से पीडि़त महिला तुलसा देवी को जांचा गया। जांचने के बाद चिकित्सक ने एडमिट करने की वजाय महिला के साथ आए उसके बेटे अमर सिंह को सबसे पहले चार टेस्ट बाहर एक निजी लैब से करने के लिए कह दिया। तभी पैरालाइज से पीडि़त महिला को उसका बेटा अमर सिंह बाहर ले आया। पीडि़त महिला के बाहर आते ही निजी लैब से पहले से ही आए लड़के ने पीडि़ता महिला के टेस्ट के सैंपल ले लिया, जिसका चार्ज 800 रुपए ले लिया गया। पैरालाइज से पीडि़त 60 वर्षीय तुलसा देवी लगभग एक घंटे तक अस्पताल के बाहर फर्श पर पड़ी रही। उसे दाखिल करना या बैड पर लिटाना भी जरूरी नहीं समझा गया। उसके बाद मीडिया द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद मीडिया द्वारा सिविल अस्पताल के प्रभारी के संज्ञान में यह मामला लाया गया तब जाकर पीडि़त महिला को अस्पताल में एडमिट किया गया। गौर हो कि पैरालाइज बीमारी से पीडि़त महिला तुलसा देवी पत्नी जालम सिंह गांव मिल्लाह की निवासी है। पीडि़त महिला के पुत्र अमर सिंह ने बताया कि उसकी मां पांच महीने से पैरालाइज से ग्रसित है। इनका इलाज नाहन अस्पताल से चल रहा है। शुक्रवार को मां की तबीयत बिगड़ने पर शिलाई अस्पताल ले जाया गया, जहां पर तबीयत बिगड़ने पर सिविल अस्पताल पांवटा के लिए रैफर कर दिया। सिविल अस्पताल पहुंचने पर एक चिकित्सक द्वारा एडमिट करने की वजाय टेस्ट लिख दिए और दवाई लिख दी। अमर सिंह ने कहा कि पांवटा साहिब में भी गरीबों का अस्पताल नहीं है। यहां भी आते ही बाहर एक निजी टेस्ट के लिए लिखा जाता है जो कि आम लोगों के लिए महंगा साबित होता है। उधर, पूछे जाने पर इस बारे सिविल अस्पताल प्रभारी संजीव सहगल ने बताया कि पीडि़त महिला को एडमिट नहीं करने का मामला उनके संज्ञान में नहीं आया था। मीडिया द्वारा मामला संज्ञान में आते ही महिला को एडमिट कर दिया गया है। मामले की जांच की जाएगी।

 


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