फोरेस्ट क्लीयरेंस के फेर में फंसी धर्मशाला की सड़कें

By: Sep 24th, 2019 12:22 am

धर्मशाला उपचुनाव 21 अक्तूबर

धर्मशाला –किसी भी देश की जीवन रेखाएं कहे जाने वाली सड़कें पर्यटन, खेल, बौद्ध और अब स्मार्ट सिटी का तमगा हासिल करने वाले धर्मशाला शहर से अब भी रूठी हुई हैं। हैरत की बात है कि देश आजादी का 73वां वर्ष मनाकर अब एक माह पहले ही जश्न में डूबा था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर के धर्मशाला शहर के गांवों में अब भी आधी-अधूरी सड़कें आम लोगों को विकास व सुविधाओं से कोसों दूर कर देती हैं। हालांकि दूसरी राजधानी का दर्जा मिलने के बाद शहर की मुख्य सड़कों और तपोवन विधानसभा की सड़कों को तो चकाचक कर दिया जाता है, लेकिन गांव में बसने वाले भारत को पीछे छोड़ दिया जाता है। इतना ही नहीं, सरकार व प्रशासन और विभाग की लापरवाही यहीं नहीं थमती है। पर्यटकों को नए पर्यटक स्थलों से जोड़ने के दावे भी अधूरी सड़कों के मलबे में दफन होकर रह जाते हैं। हैरत की ही बात है कि फोरेस्ट क्लीयरेंस का इतना धीमी रफ्तार कि दशकों तक सड़कें अधर में फंसी हुई हैं। अब इसमें सरकार या विभागों की लापरवाही का अंदाजा भी आप इसी बात से लगा सकते हैं, कि देहरादून से फाइलें बार-बार आपत्तियों के साथ वापस लौट रही हैं। ऐसे में अभी तक गांव सड़क सुविधा से पूरी तरह से महरूम है। इसके कारण गांवों में विकास की गति भी धीमी ही पड़ी हुई है।

पीडब्ल्यूडी भेज रहा अधूरी फाइलें

धर्मशाला डिवीजन के घड़ौपरा गांव की डेढ़ किमी, इंद्रुनाग से चोहला डेढ़ किमी, धर्मकोट से भागसूनाग वाया रक्कड़ दो किमी, ऐरला से चंद्रा रोड साढ़े चार किमी, किरपू सड़क मार्ग तीन किमी और इंदु्रनाग-वनगोटू-गमरोटु टिल्ला माता मंदिर से त्रियूंड रोड साढ़े छह किमी और नड्डी-सतोवरी से घेरा की दो किलोमीटर सड़क लटकी हुई है। उक्त सड़कों सीसीएफ सेंटर देहरादून द्वारा औपचारिकताएं पूरी करने को वापस भेजते रहते हैं, लेकिन विभाग की लापरवाही से कई बार फाइलें अधूरी ही भेज दी जा रही है। उधर, पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन धर्मशाला सुशील कुमार डढ़वाल का कहना है कि फोरेस्ट क्लीयरेंस की प्रक्रिया चल रही है। देहरादून से फोरेस्ट क्लीयरेंस आने पर सड़कों के कार्य शुरू किए जाएंगे।

स्वास्थ्य-शिक्षा से वंचित

धर्मशाला शहर के एक दर्जन से अधिक गांव आजादी के 73 वर्षों के बाद भी जीवन रेखाओं से कटकर ही जीवन-बसर करने के लिए मजबूर हो गए हैं। इसके कारण केंद्र और राज्य सरकारों की सभी सुविधाएं भी हर दिन दम तोड़ती हुई नजर आती है। सड़क न होने कारण लोगों को समय पर स्वास्थ्य लाभ, बीमारी और दुर्घटनाओं में सयम पर इलाज न मिलना, एंबुलेंस न पहुंच पाना, अच्छी शिक्षा के लिए पहुंच दूर, घर बनाने को ढ़ुलाई में अधिक आर्थिक बोझ के तले दबने को मजबूर हैं।  

सालों से लटका सड़कों का काम

लोक निर्माण विभाग धर्मशाला डिवीजन के तहत  सड़कों को फोरेस्ट क्लीयरेंस न मिलने के कारण सड़क सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है। सरकार व विभाग की लापरवाही के कारण पिछले कई वर्षों से गांवों की सड़क का कार्य लटका हुआ है। लेेकिन विभाग द्वारा फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए देहरादून भेजे गए मामलों की फाइलें फिर से औपचारिकताएं पूरी न होने से वापस पहंुच रही है। कंजरवेटर सेंट्रल फोरेस्ट सेंटर देहरादून में क्लीयरेंस के लिए भेजी गई सड़कों के मामले दशकों से फिर से विभाग के पास पंहुच गए हैं।


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