बच्‍चों में डिप्रेशन की समस्‍या

By: Sep 21st, 2019 12:15 am

आपके आसपास और आपके घर में यदि कोई ऐसा बच्चा दिखाई दे जो अकसर चुप रहता हो, अपनी सोच में डुबा रहता हो, अपनी उम्र के सभी बच्चों से और अन्य क्रियाओं से दूर रहता हो, तो आप उस बच्चे की मदद कर सकते हैं। कहीं ऐसा न हो कि वो बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो। आमधारणा है कि बच्चे बहुत छोटे होते हैं। वो अपनी दुनिया, अपनी मौज-मस्ती में लगे रहते हैं। वो ज्यादा नहीं सोचते और न ही कभी किसी बात पर मनन, चिंतन करते हैं। जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। बच्चे बड़ों की बातों को गौर से सुनते हैं, समझते हैं और उस पर रिएक्शंस भी देते हैं। कई बार किसी बात से दुखी हो कर खुद को सबसे दूर कर लेते हैं। ऐसे में बड़ों को चाहिए कि वो बच्चों पर ध्यान दें। कहीं बच्चा लगातार ऐसी अवस्था में रहते हुए डिप्रेशन का शिकार न हो जाए। कई बार बच्चों में यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि क्या वह डिप्रेशन के शिकार हैं या यूं ही उदास हैं। बच्चे उदास रह सकते हैं, लेकिन अगर वे लंबे समय तक उदास रहें, तो यह डिप्रेशन हो सकता है। बच्चे में ऐसे लक्षण नजर आने पर या बच्चे के व्यवहार में बड़ा परिवर्तन नजर आए, तो बच्चों से खुलकर इस बारे में बात करनी चाहिए। अगर इससे भी बात न बनें तो जल्द ही चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए।

बच्चों में कैसे पहचानें कि उन्हें डिप्रेशन है

यदि बच्चा ज्यादा समय तक लगातार कई दिनों तक उदास रहे। अपने आसपास के लोगों से बचता फिरे या चिल्लाने लगे, चिढ़ने लगे। यदि बच्चा पढ़ाई और बाकी किसी काम में लापरवाही करने लगे, फोकस न करें। इस अवस्था में बच्चा किसी से बातचीत करना, किसी से मिलना पंसद नहीं करते। एक तरह से अलगाव की परिस्थति में आ जाते हैं।   कई बार बच्चे अधिक डिप्रेशन की अवस्था में एग्रेसिव हो जाते हैं। बड़ों से बात न करना, उनकी बातों पर तीखा रिएक्शंस देने लगते हैं।

इस सेे बचाव कैसे हो

बच्चों को डिप्रेशन से बचाने के लिए सबसे जरूरी है कि उनकी सोच को सकारात्मक मोड़ दिया जाए। कई बार माता-पिता के कठोर व्यवहार की वजह से या बच्चे की विफलताओं की वजह से, माता-पिता द्वारा बच्चे को डांटने से और उसकी अक्रियाशीलता पर जोर देने पर बच्चे खुद को हीन भावना से देखने लगते हैं जो उनके डिप्रेशन का कारण हो सकता है। बच्चे पर अधिक ध्यान दिया जाए। उसकी गतिविधियों को सराहा जाए। उसको अन्य बच्चों से मिलने-जुलने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बच्चे को इस बात का यकीन दिलाया जाए कि वो कमजोर नहीं है और न ही किसी से कम है। ऐसा करने से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा, जो बच्चे को खुद से प्यार करना सिखाएगा। माता-पिता को चाहिए कि बच्चे को एक स्वस्थ जीवन शैली दें, जिसमें वह खुद मिल कर बच्चे का सहयोग करे। इसके लिए पर्याप्त नींद, अच्छी डाइट, एक्सरसाइज, योग और मेडिटेशन को अपने दिनचर्या में शमिल करें। स्कूल में पढ़ाई का ज्यादा दबाव भी बच्चों को डिप्रेशन में डाल रहा है।

 


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