बारिश न होने से किसानों में छाई मायूसी

नालागढ़-जहां एक ओर इंद्रदेव ने अगस्त माह में भयंकर तबाही मचाई थी, वहीं उसके बाद से इंद्रदेव के मौन रहने से लोग उमस भरी गर्मी झेलने को मजबूर हो गए है और किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें झलक उठी हैं। मक्की की फसल कटाई के लिए करीब-करीब तैयार है, लेकिन बारिशें न होने के कारण, जहां इनका दाना पूरी तरह से विकसित नहीं हो सका है, वहीं किसानों को अपनी आर्थिकी की भी चिंता सताने लगी है। इन दिनों किसानों ने अपने खेतों में मक्की के अलावा माह, तिल, धान सहित सब्जियों की फसलें लगाई हुई हैं, लेकिन बारिशें न होने के कारण किसान हताश व परेशान होकर रह गए हैं। किसानों का कहना है कि फसलें कटाई के लिए तैयार तो हो गई हैं, लेकिन इनका दाना विकसित न होने से किसानों को करीब 50 फीसदी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। उधर, मौसम विभाग का कहना है कि आगामी दो-तीन दिनों में कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने की संभावनाएं है। किसानों का कहना है कि अब यदि बारिश होती भी है तो इसका किसानों को लाभ नहीं मिलेगा। जानकारी के अनुसार बारिश न होने का खामियाजा जहां आम लोग झेल रहे हैं और उमस भरी गर्मी से प्रतिदिन दो-चार हो रहे हैं, वहीं किसानों की परेशानी भी अच्छी खासी बढ़ गई है। किसानों ने अपने खेतों में जीवनयापन के फसलें तो लगाई हैं, लेकिन कटने की कगार पर पहुंच जाने के बावजूद बारिश के अभाव में इनका दाना विकसित नहीं हो पाया है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान वहन करना होगा। बता दें कि नालागढ़ उपमंडल मैदानी व पहाड़ी दो इलाकों में बंटा है, जिसके तहत सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्रों में मंझौली, राजपुरा, ढांग, जगातखाना,निहली ढांग, ढाणा, सनेड़, भाटियां, दभोटा, नवांग्राम, पंजैहरा, जोघों, जगतपुर, बैरछा, बघेरी, खिल्लियां, घोलोंवाल, करसौली, गुल्लरवाला, बरूणा आदि कई गांव आते है, जबकि रेनफेड एरिया में मित्तियां, मैथल, रतवाड़ी, बारियां, रामशहर, थयोड़ा आदि कई गांव आते है। सिंचाई वाली जमीनों में किसान कहीं कहीं अपनी भूमि को पानी तो देते रहे है, लेकिन रेनफेड एरिया वाले किसानों की चिंताएं काफी बढ़ जाती है, क्योंकि रेनफेड एरिया वाले किसान बारिशों पर ही निर्भर करते है। क्षेत्र के किसान प्रेम चौधरी, इकबाल सिंह, श्याम सिंह, तारा सिंह, देविंद्र, गुरबख्श सिंह, बंत सिंह, जोगिंद्र सिंह, सुरजीत सिंह आदि ने कहा कि बारिश न होने से खेतों में लगाई गई फसलों का दाना विकसित नहीं हो सका है, जबकि फसलें कटाई के लिए पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि अब यदि बारिशें होती है तो भी इसका किसानों को लाभ नहीं मिल सकेगा।