मजबूत होने लगा वन विकास निगम

By: Sep 20th, 2019 12:01 am

शिमला – राज्य वन विकास निगम की आर्थिक स्थिति पहले से मजबूत हुई है। निगम का घाटा, जो कि वर्ष 2016-17 में 3443 लाख रुपए था, वर्ष 2018 में घटकर 1658 लाख रुपए रह गया है। यह बात वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने वन विकास निगम की समीक्षा बैठक में कही। उन्होंने कहा कि नाहन एवं बिलासपुर तारपीन कारखानों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, जिसके लिए राशि की क्षमता बढ़ाकर 65 लाख रुपए कर दी है। बिरोजा तथा तारपीन की विक्रय दरों का युक्तिकरण कर इस वर्ष 4262 लाख रुपए का बिरोजा एवं तारपीन का तेल बेचा गया है। इन सुधारों के चलते वन निगम ने 2804 लाख रुपये की रायल्टी अदा की है, जो वर्ष 2017 की तुलना में 2300 लाख रुपए अधिक है। वन निगम ने 214 पात्र सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 805 लाख रुपए का लीव इन कैशमेंट, 196 सेवानिवृत कर्मचारियों को 3334 लाख रुपए की ग्रैच्युटी, 1700 कर्मचारियों को तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता जारी कर दिया है। इसके अतिरिक्त कर्मचारियों का 600 लाख अंतरिम राहत प्रदान की है। नाहन की रोसिन और तारपीन फैक्टरी में नियुक्त कोलमैन और फायरमैन की प्रोत्साहन राशि 25 से बढ़ाकर 50 रुपए प्रतिदिन की है। निगम में कर्मियों की कमी को ध्यान में रखते हुए चार सेवानिवृत्त अधिकारियों को निगम के कार्य के लिए नियुक्त किया जाएगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) राम सुभग सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार वन निगम के टर्नओवर को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि निगम द्वारा 15 लिपिकों, 50 वन रक्षकों, दो ब्लॉयलर संचालक, दो आरा संचालक और एक विद्युत कर्मचारी को सीधी भर्ती से नियुक्त किया जाएगा। हिमाचल राज्य वन विकास निगम लिमिटेड के उपाध्यक्ष सूरत नेगी, हिमाचल सरकार के विशेष सचिव वित्त एवं निदेशक डीडी शर्मा, निदेशक केएस ठाकुर, हिमपाल सिंह राणा, विनय कुमार, राम कुमार, देवेंद्र सिंह, नरेश चंद, प्रबंध निदेशक बीडी सुयाल व अन्य गणमान्य भी बैठक के दौरान उपस्थित रहे।

गैर किफायती लकड़ी भी इस्तेमाल होगी

वन मंत्री ने बताया कि सरकार ने गिरे व सूखे पेड़ों के लिए जुलाई 2018 में एक नई नीति बनाई। इसके तहत अधिसूचना जारी की, जिसमें स्पष्ट किया गया कि गैर किफायती समझे जाने वाले हजारों पेड़ों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा, बल्कि दोहन कर इसका उपयोग टीडी, सरकारी भवनों, चिडि़याघरों व वन

निगम की फर्नीचर वर्कशॉप में किया जाएगा।


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