मुख्यमंत्री से शिकायत को अब अंग्रेजी जरूरी नहीं

By: Sep 17th, 2019 12:20 am

आधिकारिक वेबसाइट से हटाई ‘राइट इन इंग्लिश ओनली’ की लाइन, इंग्लिश कॉलम की तरह हिंदी में भी व्यवस्था

मंडी -मुख्यमंत्री से किसी भी विषय पर शिकायत करने के लिए अब अंग्रेजी जरूरी नहीं रह गई है। अब हिंदी में भी कोई आम व्यक्ति आराम से अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। हालांकि पहले भी अंग्रेजी भाषा जरूरी नहीं थी, लेकिन सरकार की आधिकारिक वेबसाइट द्धद्बद्वड्डष्द्धड्डद्य.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ पर जो अंग्रेजी में लिखा गया था उसके यही मायने निकल रहे थे कि मुख्यमंत्री से शिकायत करनी है तो अंग्रेजी आना जरूरी है। उक्त आधिकारिक वेबसाइट हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं तो एक कॉलम आता है गवर्नमेंट। गर्वनमेंट पर क्लिक करें तो कई ऑप्शन मिलते हैं। इसमें से एक ऑप्शन है चीफ मिनिस्टर। चीफ मिनिस्टर पर क्लिक करने राइट टू दि चीफ मिनिस्टर यानी मुख्यमंत्री को लिखें ऐसा ऑप्शन आता है। पहले वेबसाइट को हिंदी भाषा में सिलेक्ट करने पर शिकायत भरने के सभी फार्मेट अंग्रेजी में ही रहते थे। यही नहीं, शिकायत के फार्मेट पर सबसे ऊपर स्पेशल नोट में लिखा गया था ‘राइट इन इंग्लिश ओनली’। वेबसाइट पर हिंदी भाषा चयन करने के बाद भी यही नोट रहता था। अब वेबसाइट से ‘राइट इन इंग्लिश ओनली’ का नोट हटा लिया गया है। साथ ही साथ हिंदी भाषा के चयन करने पर शिकायत के फार्मेट के सभी कॉलम भी हिंदी में कर दिए गए हैं। मसलन शिकायतकर्ता का जिला, शिकायत का विवरण सहित अन्य जानकारी के हैडिंग भी हिंदी में कर दिए गए हैं। पहले फार्मेट के सभी हैडिंग भी अंग्रेजी में ही रहते थे। दरअसल इस मसले पर ‘दिव्य हिमाचल’ ने हिंदी दिवस पर ‘सीएम से शिकायत करनी है तो अंग्रेजी जरूरी’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसमें आम लोगों और हिंदी जानने वाले लोगों को सीएम से शिकायत करने में होने वाली दिक्कतों के बारे में बताया गया था। खबर प्रकाशित होने के दो दिन बात अब सरकार की आधिकारिक वेबसाइट अपडेट कर दी गई है। इस विषय पर आपत्ति भी इसलिए ज्यादा थी, क्योंकि ई-समाधान वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करवाने की हिंदी के यूनिकोड फोंट में लिखने का ऑप्शन था, लेकिन सीएम से शिकायत करने के लिए यह ऑप्शन ही उपलब्ध नहीं था। ंिहंदी का सफर अभी भी लंबा भले ही मुख्यमंत्री से शिकायत के लिए पोर्टल को अपडेट कर हिंदी में भी उपलब्ध करवा दिया गया हो, लेकिन हिंदी का सफर अभी भी बहुत लंबा है। मसलन कई विभाग अभी भी ऐसे हैं, जहां हिंदी में कार्य करना बाकी है, जबकि उन विभागों में आम जनता का रोज कोई न कोई कार्य निकल आता है।

 


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