मैरिट में घुमारवीं का दबदबा

By: Sep 9th, 2019 12:07 am

परीक्षा परिणामों की मैरिट आए और उसमें एजुकेशन हब घुमारवीं के छात्रों का नाम न हो, यह मुमकिन ही नहीं। लाखों छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहे इस शहर के स्कूलों ने ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ ली। होनहारों का कल संवार रहे घुमारवीं में क्या है शिक्षा की कहानी, बता रहे हैं हमारे संवाददाता राजकुमार सेन

हिमाचल प्रदेश के केंद्र बिंदु में बसा घुमारवीं शहर शिक्षा हब के तौर पर उभरा है। घुमारवीं में बड़ा शिक्षण संस्थान न होने के बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश व देश में विशेष पहचान बनाई है। घुमारवीं में निजी स्कूल खुलने के बाद घुमारवीं में शिक्षा क्रांति आने के साथ-साथ रोजगार के द्वार भी खुले हैं। हर साल बोर्ड कक्षाओं की मैरिट सूची में घुमारवीं के स्कूलों के बच्चों का दबदबा रहता है। घुमारवीं के स्कूलों से पढ़ाई कर निकल रहे विद्यार्थी देश-विदेश में चमक बिखेर रहे हैं। देश के भविष्य बनाने को घुमारवीं के स्कूलों से निकले छात्र अहम योगदान दे रहे हैं। घुमारवीं में इस समय 15 निजी और दो सरकारी स्कूल हैं। नगर परिषद की हद से बाहर पांच किलोमीटर क्षेत्र में दो निजी स्कूल, एक कालेज तथा एक सरकारी स्कूल है, जिनमें बच्चे पढ़ाई कर भविष्य को संवार रहे हैं। 2000 के बाद सही मायने में घुमारवीं में शिक्षा की क्रांति आई है। बुद्धिजीवियों की मानें, तो घुमारवीं का पढ़ाई के लिए बेहतरीन माहौल रहा है। शहर के चारों ओर घनी आबादी, भौगोलिक स्थिति व सड़कों के बिछे जाल के कारण यहां बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आसानी से पहुंचते हैं। बीते जमाने में भी घुमारवीं शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। निजी स्कूलों के खुलने से पहले भी घुमारवीं क्षेत्र शिक्षा के लिए जाना जाता था। घुमारवीं शहर में तीन सीबीएसई सिलेबस वाले तथा 12 हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला से संबंधित स्कूल हैं, जबकि शहर के पांच किलोमीटर  के दायरे में आने वाले निजी स्कूल के बच्चों को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला का सिलेबस पढ़ाया जा रहा हैं। इनमें कई स्कूलों में जमा दो तक तथा कुछ में 10वीं व 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई हो रही है। शिक्षा हब के तौर पर उभर चुके घुमारवीं के निजी स्कूलों में पढ़ाई के लिए अभिभावक अपने बच्चों को दाखिले के लिए होड़ में रहते हैं। यही कारण है कि घुमारवीं में आज हिमाचल प्रदेश के ही नहीं, बल्कि बाहरी राज्यों से भी बच्चे आकर पढ़ाई कर रहे हैं।

इन स्कूलों का जवाब नहीं

घुमारवीं शहर में मिनर्वा वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, हिम सर्वोदय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, शिवा इंटरनेशनल स्कूल, डीएवी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, नॉप्स पब्लिक स्कूल, हॉली हार्ट पब्लिक स्कूल, सरस्वती विद्या मंदिर, नवज्योति, ग्रेस गार्डन स्कूल, थॉमसन पब्लिक स्कूल, आदर्श स्कूल, शिवा एकेडमी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल (छात्र) तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल (छात्रा) शामिल हैं, जबकि शहर की हद से बाहर पांच किलोमीटर के दायरे में विजन कॉन्वेंट वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल व टैगोर पब्लिक स्कूल देलग के अलावा स्वामी विवेकानंद डिग्री कालेज है। इनमें तीन स्कूलों में एक हजार से अधिक, दो स्कूलों में पांच सौ से अधिक व बाकी में दो सौ से लेकर 500 के बीच बच्चों की संख्या है।

टीचर जेबीटी-बीएड और टेट क्वालिफाइड

स्कूलों में जेबीटी, बीएड और टेट क्वालिफाइड टीचर ही रखे गए हैं, जिस कारण घुमारवीं के स्कूलों का रिजल्ट बेहतर से बेहतर होता जा रहा है। घुमारवीं शहर व पांच किलोमीटर दायरे में खुले स्कूलों में लगभग 9500 बच्चे तथा करीब 570 वेल एजुकेटिड शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

टॉप-10 में नाम चमका रहे प्राइवेट स्कूल, सरकारी पिछड़े

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला के परीक्षा परिणाम की टॉप-टेन मैरिट लिस्ट में घुमारवीं के निजी स्कूल हर साल अव्वल रहते हैं, जबकि सरकारी स्कूल इस मामले में काफी पिछड़ गए हैं। निजी स्कूलों से निकले बच्चे हर साल मैरिट लिस्ट में नाम दर्ज करवा रहे हैं। मैरिट लिस्ट में घुमारवीं के निजी स्कूलों के बच्चों का टॉप से लेकर दसवें स्थान तक दबदबा रहता है। मैरिट में स्थान हासिल करने के लिए अब निजी व सरकारी स्कूलों में नहीं, बल्कि आपस में ही कंपीटीशन रहता है, जिसमें सरकारी स्कूल पिछड़ गए हैं। पिछले काफी सालों से सरकारी स्कूलों से निकले बच्चे मैरिट में स्थान हासिल नहीं कर पाए हैं।

मिनर्वा ने दिलाई विशेष पहचान

घुमारवीं को शिक्षा के क्षेत्र में बुलंदियों तक पहुंचाने में मिनर्वा वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल का काफी अहम रोल है। बच्चों के लिए सफलता का पर्याय बन चुके मिनर्वा स्कूल के 72 बच्चे 14 सालों में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की टॉप-टेन मैरिट लिस्ट में नाम अंकित करवा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं की टॉप टेन मैरिट सूची में मिनर्वा स्कूल हर साल पांच टॉपर दे रहा है। 2005 से खुले इस स्कूल के 72 बच्चों ने अब तक मैरिट में नाम अंकित करवाया है, जबकि 14 साल के अल्प समय में ही स्कूल ने 63 डाक्टर तथा 74 इंजीनियर देश-प्रदेश को दिए हैं। मिलिट्री नर्सिंग सर्विसेज में सात, एनडीए में तीन, फिल्म इंडस्ट्री में तीन तथा स्पोर्ट्स में 19 नेशनल खिलाड़ी देने के अलावा इसरो को एक सांइटिस्ट दे चुका है।

हिम सर्वोदय भी नहीं कम

घुमारवीं में 1992 में अस्तित्व में आए हिम सर्वोदय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल खुलने के बाद शहर में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आना शुरू हो गई थी। स्कूल से निकले होनहार प्रदेश भर में अपनी धाक जमाई। बोर्ड की कक्षाओं में स्कूल अब तक 37 मैरिट दे चुका है, जबकि 35 डाक्टर व इंजीनियर बनकर देश की सेवा कर रहे हैं। स्कूल से पढ़ाई कर निकला एक स्टूडेंट अमरीका में बतौर सांइटिस्ट सेवाएं दे रहा है, जबकि इसके अलावा डीएवी स्कूल घुमारवीं, विज़न कॉन्वेंट स्कूल, हॉली हार्ट पब्लिक स्कूल, नॉप्स पब्लिक स्कूल, सरस्वती विद्या मंदिर, केंद्रीय विद्यालय व शिवा इंटरनेशनल सहित अन्य स्कूल खुलने के बाद घुमारवीं शिक्षा हब के तौर पर उभरा है।

गांवों के स्कूल भी शानदार

घुमारवीं को शिक्षा हब को बनाने के लिए शहर के ही नहीं, बल्कि  गांवों में खुले स्कूलों का भी काफी योगदान रहा है। शहर में खुले स्कूलों के बराबर तो नहीं, लेकिन इनसे कम भी नहीं है। शिक्षा के क्षेत्र में इन स्कूलों ने विशेष पहचान बना रखी है। शहर से दूर होने के बावजूद बच्चे यहां पढ़ाई के लिए पहुंच रहे हैं। समय-समय पर मैरिट सूची में भी अपना नाम दर्ज करवाते रहते हैं। ग्रामीण स्कूलों में यदि इन्फ्रास्ट्रक्चर अधिक बेहतर हुआ, तो जो बच्चे कल तक शहरी स्कूलों की मैरिट में जगह बना रहे थे, तो ऐसे बच्चे ग्रामीण स्कूलों में भी पढ़ाई के लिए इच्छुक होंगे। 

1985 के बाद शुरू हुआ निजी स्कूल खुलने का सिलसिला…

बुद्धिजीवियों की मानें, तो घुमारवीं शहर में सन 1985 में निजी स्कूलों के खुलने का सिलसिला जारी हुआ, जिसके बाद 1990 के बाद अधिक से अधिक निजी स्कूल यहां खुलने लगे। यहां खुले निजी स्कूलों ने अपनी विशेष पहचान बना ली। गुणवत्ता से भरपूर शिक्षा देने के वादे पर निजी स्कूल संचालक अभिभावकों की कसौटी पर खरे उतरे। उसके बाद यहां निजी स्कूलों में बच्चों के दाखिले को अभिभावकों में होड़ मच गई। टेस्ट सहित अन्य कई कसौटियां पार कर बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों में करवा रहे हैं। निजी स्कूल के संचालक अभिभावकों का विश्वास हासिल कर चुके हैं।

सरकारी स्कूलों के भवन तो बड़े-बड़े, रिजल्ट कमजोर

घुमारवीं के सरकारी स्कूलों के बड़े-बड़े भवन निर्मित हैं। लैब से लेकर हर सुविधा स्कूलों में मौजूद है। खेल के मैदान उच्च स्तरीय हैं। पर्याप्त स्टाफ होने के बावजूद रिजल्ट में निजी स्कूलों की अपेक्षा कमजोर साबित हो रहे हैं। रिजल्ट के दौरान बच्चों की कंपार्टमेंट अधिक रहती है। बोर्ड की टॉप-टेन लिस्ट में नाम गायब रहता है, जबकि इसकी अपेक्षा निजी स्कूलों के भवन सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग से कम है, लेकिन रिजल्ट के मामले में निजी स्कूलों के बच्चे इक्कीस साबित हो रहे हैं।

संतुष्ट हैं अभिभावक

शहर में मिनर्वा वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल खुलने के बाद यहां शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आई है। बेहतरीन शिक्षा देने के लिए मिनर्वा स्कूल ने प्रदेश भर में विशेष पहचान बनाई है। बोर्ड की कक्षाओं में आने वाली मैरिट में मिनर्वा स्कूल का दबदबा रहता है। संचालकों व एजुकेटिड स्टाफ की मेहनत के बलबूते कम समय में ही स्कूल ने घुमारवीं को शिक्षा के क्षेत्र में बुलंदियों पर पहुंचाया है

संजीव शामा, अभिभावक

सुविधाएं बेहतर होने के कारण आज घुमारवीं शिक्षा हब के तौर पर उभरा है। निजी स्कूलों के खुलने के बाद यहां शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आई है। स्कूल बच्चों को गुणवत्ता से भरपूर शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। निजी स्कूलों ने बच्चों को बस सुविधा प्रदान कर रखी है  

सतीश मेहता, अभिभावक

जिला बिलासपुर का केंद्र स्थल होने के कारण घुमारवीं में 1985 के बाद शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आना शुरू हो गई थी। इसके बाद घुमारवीं में एक से बढ़कर एक शिक्षण संस्थान खुले। घुमारवीं पहुंचने के लिए हर ओर से बस सुविधा उपलब्ध है। शिक्षण संस्थानों के संचालकों को एजुकेशन हब की गरिमा बनाई रखनी चाहिए

दीपक शर्मा, अभिभावक

सरकारी स्कूलों की अपेक्षा निजी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों का रिजल्ट बेहतर रहता है। घुमारवीं शहर में पढ़ाई के लिए वह अपने बच्चों को लगभग 20 किलोमीटर दूर से भेजते हैं। गुणवत्ता से भरपूर शिक्षा देने के कारण घुमारवीं आज शिक्षा हब के तौर पर उभरा है

संदीप कुमार, अभिभावक

घुमारवीं में खुले शिक्षण संस्थानों में सुविधाएं भी शानदार हैं और बच्चों का रिजल्ट भी बेहतर रहता है। अभिभावक इसी होड़ में रहते हैं कि उनके बच्चों का दाखिला अच्छे से अच्छे स्कूल में हो। घुमारवीं में प्रदेश से ही नहीं, बल्कि बाहरी राज्यों से भी पढ़ाई करने को बच्चे पहुंच रहे हैं

मनोज कुमार, अभिभावक

हर कोई चाहता है बेस्ट एजुकेशन

क्वालिटी एजुकेशन का मतलब जानते हैं लोग..

घुमारवीं को एजुकेशन हब बनाने में कई शिक्षण संस्थानों का अहम योगदान है। घुमारवीं के लोग शिक्षा की गुणवत्ता के महत्त्व बेहतरीन तरीके से जानते हैं। हर व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है। निजी स्कूलों का बढ़ना यहां के लोगों की जागरूकता दर्शाता है। संचालकों को इसका महत्त्व समझकर इसे आगे बढ़ाना चाहिए

देवराज शर्मा, रिटायर्ड आईएएस

बेहतरीन काम कर रहे शिक्षण संस्थान

प्रदेश व जिला का केंद्र स्थल होने के कारण घुमारवीं शिक्षा हब के तौर पर उभरा है। घुमारवीं शिक्षा के क्षेत्र में पहले से ही अव्वल रहा है। शिक्षा के प्रति लोग जागरूक हैं। घुमारवीं क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में बेहतरीन शिक्षा बच्चों को मिल रही है। यही कारण है कि यहां के शिक्षण संस्थानों में अभिभावक बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं

डा. ओपी शर्मा, रिटायर्ड निदेशक, शिक्षा विभाग (उच्च)

प्राइवेट इंस्टीच्यूट्स में बढ़ रहा कंपीटीशन

शिक्षा के क्षेत्र में घुमारवीं ने अपनी विशेष पहचान बना रखी है। शहर में पहुंचने के लिए चारों ओर से लोगों से सुविधाएं मिल रही हैं। घुमारवीं शिक्षा के क्षेत्र में पहले से ही अव्वल रहा है। निजी स्कूलों के खुलने से प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, जिसका लाभ बच्चों को मिला है। इसे अधिक बेहतर बनाने के शिक्षण संस्थानों के संचालकों को प्रयास करने चाहिए

श्याम लाल शर्मा, सेवानिवृत्त प्रिंसीपल

अब वक्त बदल रहा है प्रतियोगिता का है युग

घुमारवीं ने प्रदेश भर में शिक्षा हब बनाने में जो पहचान बना रखी है, उसे कायम रखने के लिए शिक्षण संस्थानों को अधिक प्रयास करने होंगे। कई बार शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई में बच्चों का बैच बेहतरीन आ जाता है, जिससे इलाके को विशेष पहचान मिलती है। समय बदल रहा है, प्रतियोगिता का युग है, जिसे शिक्षण संस्थान बेहतर तरीके से जानते हैं

नंद किशोर, सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक

राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं तो बन रहा है फोकस……

घुमारवीं में सरकारी व निजी स्कूलों में बच्चों को गुणवत्ता से भरपूर शिक्षा प्रदान की जा रही है। शिक्षकों के पद रिक्त नहीं रहते हैं। अध्यापक अधिक समय छात्रों को पढ़ाने में दे रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप कम है, जिस कारण शिक्षक अपना पूरा फोकस बच्चों को पढ़ाने में दे रहे हैं

प्यारू राम सांख्यान, रिटायर्ड शिक्षक


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