यमुना नदी का दोहन कब करेगी प्रदेश सरकार

By: Sep 23rd, 2019 12:20 am

पांवटा साहिब-पांवटा साहिब उपमंडल प्रदेश का एकमात्र ऐसा उपमंडल है, जहां से होकर यमुना नदी गुजरती है। बावजूद इसके प्रदेश की कोई भी सरकार नदी का दोहन करने में अभी तक सफल नहीं हो पाई है। प्रदेश की किसी भी सरकार ने नदी के जल का किसानों के लिए उपयोग के बारे में न तो कोई बड़ी सिंचाई योजना बनवाई और न ही कोई सिंचाई नहर, जबकि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड यमुना के जल का भरपूर उपयोग कर किसानों को बिजली व पानी की सुविधा देकर उन्हें खुशहाल बना रहा है। जानकार बताते हैं कि मां यमुना नदी के रूप में प्रदेश को पांवटा साहिब उपमंडल के लिए एक वरदान मिला हुआ है, लेकिन प्रदेश सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधि इस वरदान का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। पांवटा उपमंडल कृषि प्रधान उपमंडल है। यहां पर किसान गेहूं, धान और गन्ने की व्यापक तौर पर खेती करते आ रहे हैं। यहां की जमीन बहुत ही उपजाऊ है तथा यदि हर खेत को पानी मिल जाए तो यहां का किसान पूरे देश का पेट भरने में सक्षम है। पांवटा उपमंडल के किलोड़ से लेकर बहराल तक के करीब 25 किलोमीटर के दायरे से होकर यमुना नदी बहती है, लेकिन इस दायरे में प्रदेश सरकार किसानों के लिए एक सिंचाई नहर तक नहीं बना पाई है। हालांकि एक-दो छिटपुट सिंचाई योजनाएं बनी हैं, लेकिन वे नाकाफी है। उपमंडल के पूर्व से, जहां यमुना नदी गुजरती है, वहीं उत्तर से गिरि नदी और पश्चिम से बाता नदी बहकर गुजरती है। बावजूद इसके यहां पर इन नदियों के दोहन से किसानों के लिए सिंचाई की खास सुविधा सरकार उपलब्ध नहीं करवा पाई है, जबकि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड ने यमुना नदी का भरपूर उपयोग किया है। उत्तराखंड ने इस नदी पर जहां दो से तीन हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाए हुए हैं, वहीं किसानों को खेती के लिए पानी देने के लिए तीन से चार नहरों का निर्माण भी किया हुआ है, जिससे वहां का किसान खुशहाल हो रहा है, जबकि प्रदेश के पांवटा उपमंडल का किसान बगल में पानी होते हुए भी सिंचाई को पानी के लिए तरस रहा है। हालांकि गिरि पावर हाउस से पांवटा के लिए दो छोटी-छोटी सिंचाई नहरों का निर्माण काफी पहले हुआ है, लेकिन उसमें से भी एक नहर कई सालों से गंतव्य स्थान तक पानी ही नहीं पहुंचा पा रही है। वहीं पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी का कहना है कि पांवटा चारों ओर से नदियों से घिरा हुआ है। वह इसकी अहमियत समझते हैं और इस पर विस्तृत योजना तैयार करवा रहे हैं। वह किसानों को सिंचाई की सुविधा देने के लिए नदियों के जल का उपयोग करने संबंधी योजना पर कार्य कर रहे हैं, ताकि प्रदेश के पांवटा के किसान भी खुशहाल हो सके।

जल समझौते का हो रहा उल्लंघन

जानकार बताते हैं कि उत्तराखंड द्वारा यमुना नदी में न्यूनतम जल छोड़ने के समझौते का भी उल्लंघन किया जा रहा है। बरसात को छोड़कर पड़ोसी राज्य अपनी नहरों में पानी ले जाने के कारण यमुना नदी के पानी बहुत कम छोड़ती है, लेकिन प्रदेश की तरफ से कोई सुध लेने वाला नहीं है। बुद्धिजीवियों के मुताबिक ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश को न तो इस नदी की अहमियत समझनी है और न ही किसानों की चिंता से उन्हें कोई लेना-देना है।


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