रिहाली मेले में कौरवों-पांडवों का युद्ध

By: Sep 16th, 2019 12:20 am

जुब्बड़ी में खुंदों ने एक-दूसरे पर खूब लगाए निशाने, ढांगरू लेकर ललकारे साथी

ठियोग -खूदों की विदाई के साथ ही सांबर का रिहाली मेला रविवार को सम्पन्न हे गया। प्राचीन परंपरा से जुड़ी ठोडे की लोकक्रिड़ा का रिहाली जुब्बड़ी सांबर में खूब प्रर्दशन हुआ। शाठी व पाशी दल के खूंदों ने एक दूसरे पर अपने तीर कमान से खूब प्रहार किए। जिसके बाद तीर निशाने पर लगते ही वाहावाही भी लूटी। ठियोग व कोटखाई की सीमा पर लगने वाले देव परंपरा से जुड़ा बारह बीश का ऐतिहासिक रिहाली मेले के शुभारंभ अवसर पर शनिवार को मुख्य सचेतक व ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने मुख्य रूप से शिरकत की। जबकि इनके साथ जिला महासू के अध्यक्ष अजय श्याम भी विशेष रूप से शामिल हुए थे। नरेंद्र बरागटा ने रिहाली जुब्बड़ी मेला मैदान को पांच लाख यज्ञ भवन के लिए दो लाख ठोडा दल के लिए 15-15 हजार तीने स्कूलों को तीन-तीन हजार देने की भी घोषणा की है। जबकि इसके अलावा ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए दो लाख मंदिर कमेटी के लिए 21 हजार ठोडा दल के लिए 11-11 हजार जबकि सभी स्कूलों के लिए 2500 देने की घोषणा की। इससे पहले ठोडा दल खशधार व ठोडा दल कुडू सिरमौर दोनों पार्टियां रविवार सुबह अपनी पोशाक में जुब्बडी में हाथ में ढांगरू लेकर एक दूसरे को ललकारते हुए पहुंच पहुंचें। पांच दिवसीय इस ऐतिहासिक मेले का शुभारंभ वैसे तो बुधवार को हो चुका है जब कलाहर से देवी माता कामाक्षा की छड़ी रिहाली जुब्बड़ी पहुंची थी जिसके बाद बारह बीश के कारदार व कलेंणे माता की छड़ी के साथ जुब्बडी में मेले का शुभारंभ करते हैं और पहले दो दिन बारह बीश के कारदारों व कलेणों द्वारा रिहाली लगाई जाती है। जिसके बाद तीन दिन तक ठोडे यानि तीर कमान का खेल का चलता है जिसमें एक दल पाशी व दूसरा शाठी दल का होता है। माना ये जाता है ये कौरवों व पांडवों के वंशज है जोकि एक दूसरे पर इस खेल के माध्यम से तीर कमान से प्रहार करते हैं। शुक्त्रवार शाम को दोनों दल जुब्बड़ी में पहुंचे और एक दूसरे को ललकारते हुए हाथ में तलवारें व ढांगरू लेकर नावते गाते हुए खुशी माहौल में अपने-अपने जोड़ीदार के साथ जुब्बड़ी में खेल का प्रर्दशन शनिवार से शुरू हुआ। यह बेहद ही प्राचीन खेल है जिसे अधिकतर ठियोग व सिरमौर में खेला जाता है। जबकि बारह बीश का यह रिहाली मेला भी कई वर्षों पहले से मनाया जाता रहा है। इसमें देवी कामाक्षा के बारह बीश के कारदार व कलेणों का विशेष सहयोग रहता है। इसमें मुख्य तौर पर कलाहर सांबर ब्यौण बागी के गांव आते हैं जबकि इसके अलावा भी दर्जनों गांव के सहयोग से मेले का आयेजन होता है जिसमें हजारों की संख्यां में लोग भाग लेते हैं। इस समय देवी कामाक्षा मंदिर कमेटी में अध्यक्ष रतिराम वर्मा सचिव नरदेव शर्मा भंडारी गंगाराम शर्मा मुख्य रूप से शामिल है। पांच दिवसीय मेले का समापन रविवार शाम को हो गया। इसके अलावा मेले में देवगढ़ व क्यार के स्कूली बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा गुठाण के लोक नतृक द्वारा चोल्टू नृत्य पेश भी पेश किया गया।


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