सस्ते राशन की दुकानों में बासमती 98 रुपए किलो

डिपोधारकों के लिए स्टॉक बेचना बना गले की फांस, हैफेड ब्रांड के आए हैं पांच-पांच किलो के बैग

हमीरपुर – सस्ते राशन की जिन दुकानों पर कार्डधारक अधिकतम दस रुपए प्रति किलो के हिसाब से चावल लेकर जाते हैं, वहां 98 रुपए प्रति किलो वाली बासमती भी नजर आ रही है। हैफेड (हरियाणा स्टेट को-ऑपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड) से आई यह बासमती डिपोधारकों के लिए गले की फांस बन गई है, क्योंकि इतने महंगे दामों पर इस बासमती को खरीदने के लिए खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं। सोसायटियों के डिपुओं में पड़े हैफेड की बासमती के पांच-पांच किलो के बैग की कीमत 490 रुपए है। सिविल सप्लाई की ओर से ये बैग डिपुओं में बेचने के लिए दे तो दिए हैं, लेकिन इतने महंगे दामों पर खरीदने के लिए कोई तैयार नहीं हैं। बता दें कि दुकानों में बेहतर किस्म की बासमती 60 से 65 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिल जाती है। ऐसे में 98 रुपए प्रतिकिलो वाली हैफेड की बासमती खरीदने में लोग रुचि नहीं दिखा रहे, क्योंकि डिपोधारकों को कारपोरेशन की ओर से हैफेड की बासमती के बैग बेचने के लिए दे दिए गए हैं, ऐसे में डिपोधारक समझ नहीं पा रहे हैं कि इसे किसे बेचा जाए। आलम यह है कि सोसायटी के डिपुओं में हैफेड की बासमती के बैग यूं ही पड़े हुए हैं। सिविल सप्लाई कारपोरेशन प्रदेश भर में अपने खर्चे निकालने के लिए अकसर सोसायटी के डिपुओं में हैफेड के तेल, चावल और यहां तक कि कई बार मैगी के पैकेट भी बेचने को देती है। ये सारी चीजें नॉन सबसिडाइज्ड होती हैं और इनमें अच्छा मार्जिन भी होता है। हालांकि बताया जाता है कि हैफेड की बासमती अन्य बासमतियों से अच्छी क्वालिटी की होती है।

2016-17 की है पैकिंग डेट

हैफेड की बासमती के जो बैग डिपुओं में बिकने के लिए आए हैं, उनमें पैकिंग डेट 2016-17 की है। ऐसा माना जा रहा है कि यह कोई पुराना स्टॉक था, जो शायद बिक नहीं पाया और उसे बेचने के लिए हिमाचल में भेज दिया गया। हालांकि निगम की मानें, तो पुराना चावल नए चावल के मुकाबले में खाने में स्वादिष्ट होता है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।