सीटू के निशाने पर सिक्योरिटी कंपनी और आईजीएमसी

शिमला – सीटू राज्य कमेटी ने आईजीएमसी प्रबंधन और  सिक्योरिटी कंपनी पर भ्रष्टाचार व अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। सीटू का आरोप है कि करीब तीन  करोड़ रुपये के ठेके में एक वर्ष में  एक करोड़ 10 लाख रुपए के घोटाले व अन्य अनियमितताएं बरती गई हैं। सीटू ने मांग उठाई है कि इसकी  प्रदेश उच्च न्यायालय के  न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की जानी चाहिए और  दोषियों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। गुरुवार को शिमला में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए  सीटू के राज्याध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने आरोप लगाते हुए कहा कि आईजीएमसी में भ्रष्टाचार हो रहा है। उन्होंने इस भ्रष्टाचार में सीधे आईजीएमसी प्रबंधन की भूमिका की न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि आईजीएमसी में जिस  सिक्योरिटी कंपनी  को सिक्योरिटी का ठेका दिया गया है उसका आबंटन नियमों के विपरीत हुआ है। योग्यता में ऊपर कई कंपनियों को बाहर करके प्रबंधन की मिलीभगत से इस कार्य को अनुभव व गुणवत्ता में सबसे नीचे उक्त कंपनी को दे दिया गया। विजेंद्र महेरा ने आरोेप लगाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार की शुरुआत यहीं से हुई व जो लगातार बढ़ती गई। इस कंपनी को जो कॉन्टे्रक्ट दिया गया उसकी सेवा शर्तों के अनुसार  187 सुरक्षा कर्मचारियों का ठेका इस कंपनी को दिया गया, मगर इस कंपनी ने केवल 137 लोग कार्य पर नियुक्त किए। इस कंपनी के प्रबंधन ने आईजीएमसी प्रबंधन के साथ मिलकर 50 कम लोग इस कार्य पर लगाए व आईजीएमसी के इतिहास में सबसे बड़े घोटाले को जन्म दिया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस ठेके में 50 लोगों की कम भर्ती करके कंपनी प्रबंधन हर साल 48 लाख रुपए का घोटाला कर रहा है। यह पैसा सिक्योरिटी कंपनी प्रदेश सरकार व आईजीएमसी प्रबंधन से ले रही है मगर 50 सुरक्षा कर्मियों की भर्ती न होने से यह पैसा  सिक्योरिटी कंपनी  की जेब में जा रहा है। इस कंपनी ने पिछले एक वर्ष में मजदूरों के ईएसआई मेडिकल फंड का 12 लाख 11 हज़ार 760 रुपए सिक्योरिटी कर्मियों के खाते में नहीं डाला है। इसी तरह 21 लाख 54 हज़ार 240 रुपए की मजदूरों की एक वर्ष की ईपीएफ राशि कंपनी प्रबंधन ने जमा नहीं करवाई है। चार सुपरवाइजरों व चीफ सिक्योरिटी आफिसर के वेतन में एक वर्ष में करीब 14 लाख रुपए का डाका डाला गया है। उन्होंने आरोप लगाया  है कि इस तरह कुल मिलाकर एक करोड़ 10 लाख रुपए के महाघोटाले को कंपनी ने अंजाम दिया है।

संगठन की मांग, इन बिंदुओं पर हो जांच

सीटू ने मांग उठाई है कि 187 कुल सुरक्षा कर्मियों की निर्धारित संख्या में से 50 कम सुरक्षा कर्मियों के एक वर्ष के 48 लाख रुपए कहां गए। ईएसआई के मेडिकल फंड के 12 लाख रुपए कहां गए। ईपीएफ का साढ़े 21 लाख रुपए कहां गए। सुरक्षा कर्मियों की छुट्टियों का 15 लाख रुपए कहां गए। सबसे कम अनुभव, योग्यता व गुणवत्ता के बावजूद कंपनी को ठेका कैसे मिला। इतनी सारी अनियमितताओं के बावजूद कंपनी को एक साल के बाद ठेके के अवधि खत्म होने के बावजूद एक्सटेंशन कैसे और क्यों दी गई, इन बिंदुआें पर जांच होेनी चाहिए।