सेना में धर्म

By: Sep 14th, 2019 12:05 am

कर्नल मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

भारतीय सेना दुनिया की सबसे बड़ी और ताकतवर सेनाओं में से एक है। संख्या के आधार पर हम दुनिया में चीन के बाद दूसरे नंबर पर हैं, अमरीका और रूस जैसी महाशक्तियां भी हम से पीछे हैं। अच्छी ट्रेनिंग, बढि़या रहन-सहन, पोषक खान-पान एवं उम्दा अनुशासन होने के साथ-साथ भारतीय सेना में आपसी तालमेल, सहयोग एवं समन्वय  इसकी कुशलता एवं काबिलीयत के पीछे की सबसे बड़ी ताकत है। विश्व की दूसरी सबसे  बड़ी सेना की इस खासूसीयत का मुख्य कारण इसमें किसी विशेष जाति या धर्म को त्वजो न देकर सिर्फ  और सिर्फ  सैनिक धर्म  का होना है। भारतीय सेना में दाखिले की सर्वोच्च योग्यता  भारतीय होना है, उसके बाद शैक्षणिक योग्यता के आधार पर अधिकारी, अफसर, सूबेदार या सिपाही के रूप में सेना में नियुक्ति दी जाती है। सेना में धर्मगुरु, मोची,  धोबी, नाई, रसोईया, बढ़ई आदि बहुत सारे विभाग हैं, जिनमें चयन जाति या धर्म पर आधारित होने के बजाय विशेष काम की योग्यता के आधार पर होता है। जिसका परिणाम हमें ज्यादातर पलटन के कुक हाउस में असलम, बारबर शॉप में ठाकुर तथा कारपेंटर शॉप में शर्मा आदि का मिलना है। इस का कदापि यह मतलब नहीं कि भारतीय सेना नास्तिक है, यहां हर शख्स को उस के धर्म को मानने की पूरी आजादी है पर सैनिक धर्म सर्वोपरि माना जाता है। जहां पर रामनवमी को शस्त्र पूजन, दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस या गुरु पर्व हर धर्म के हर त्योहार को सब मिलजुल कर मनाते हैं। नवरात्रों में हिंदू सैनिकों, रोजा और ईद में मुस्लिम, गुरु पर्व  में सिख और क्रिसमस में ईसाई सैनिकों को फ्री रखकर उनको उस त्योहार को मनाने की आजादी दी जाती है, जबकि अन्य धर्म के लोग उनकी जगह काम करते हैं। हर पलटन में एक सर्व-धर्म स्थल होता है जहां एक ही छत के नीचे हर धर्म के लिए पूजा-अर्चना तथा मेडिटेशन करने का प्रावधान होता है। इस तरह सैनिक हर धर्म के बारे में अच्छी तरह जानते हुए सब धर्मों का सम्मान कर मिलजुल कर प्रेम भाव से रहता है। धर्म विशेष को दरकिनार कर सब सैनिक इकट्ठे ही एक जगह पर खाना खाते हैं, एक बरतन से चाय पीते हैं तथा किसी भी आपरेशन या लड़ाई के दौरान योग्यता के आधार पर बनाए गए उनके साथी ‘बडी’ का सम्मान और ख्याल रखते हैं। आज जब हमारे देश के नागरिक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च और अन्य धार्मिक उन्मादों में उलझ कर अपने सर्वोपरि धर्म इनसानियत, मानवता और भारतीयता को भूल गए हैं, उनको सेना की इस प्रथा से सीख लेकर, ईद पर मुसलमानों को, गुरु पर्व पर सिखों को, क्रिसमस पर ईसाइयों को और दीपावली पर हिंदुओं को छुट्टी देकर बाकी लोग काम करें तथा उनके त्योहार को उनके लिए मनाएं तो शायद देश का स्वरूप कुछ और होगा और हमारा देश भी भारतीय सेना की तरह विश्व में सबसे ताकतवर और योग्य मुल्क बनने में देर नहीं लगाएगा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App