सेराथाना का बीपीएल मुक्त का दावा निरस्त

उपमंडलीय मजिस्ट्रेट की अदालत ने सुनाया फैसला

नगरोटा बगवां –नगरोटा बगवां विकास खंड की ग्राम पंचायत सेराथाना का वह प्रस्ताव ओंधे मुंह गिरा, जिसमें पंचायत ने बीपीएल मुक्त होने का दावा किया था । दो माह की सुनवाई के बाद सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उपमंडलीय दंडाधिकारी शशि पाल नेगी ने उक्त प्रस्ताव को निरस्त कर अपना फैसला आगामी कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को भेज दिया है । अपने फैसले में उन्होंने कहा कि उक्त कार्रवाई हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एक्ट 1997 की धारा-133 के आधार पर की गई है, जिसमें पंचायत द्वारा सरकार और विभाग के बीपीएल संबंधी दिशा-निर्देशों की पूरी तरह अवहेलना पाई गई है । पंचायत ने गत 14 जुलाई को आनन-फानन में एक प्रस्ताव पारित कर बीपीएल सूचि में शामिल 73 परिवारों को सूची से बाहर कर समूची पंचायत को बीपीएल मुक्त करने का दावा किया था । लोगों ने स्थानीय खंड विकास अधिकारी के पास अपनी आपत्ति दर्ज करवाई, जिसके बाद मामला सुनवाई के लिए उपमंडलीय अधिकारी के पास 23 जुलाई को आया। अदालत का मानना है कि पंचायत ने विभागीय तीन मेंबरी कमेटी की रिपोर्ट को भी नजरअंदाज किया है तथा इस मामले में मानकों को नजरअंदाज कर लोगों के सुझावों, आपत्तियों तथा आवेदनों पर कोई विचार नहीं किया । जबकि इस दौरान पूर्व लाभार्थियों में से 46 परिवारों ने बाकायदा अपने शपथ पत्र दाखिल करवाए थे तथा छह नए आवेदक भी पंचायत के पास विचाराधीन थे । नियम यह भी है कि पंचायत ऐसा करने पर ग्राम सभा की बैठक के 15 दिन पहले पूर्व लाभार्थियों से शपथ पत्र मांगती तथा नए आवेदकों पर विचार करती, जिसका सत्यापन अधिकृत समिति द्वारा घर-घर जाकर होने वाले सर्वेक्षण से होना था । इस आधार पर बनी प्राथमिक सूचि को ग्राम सभा की मंजूरी लेना अनिवार्य था, लेकिन पंचायत ने लोगों के आवेदनों तथा पात्रता की परख किए बगैर सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया, जो अब जाकर गलत साबित हुआ ।