स्वरोजगार से निवेश तक

By: Sep 7th, 2019 12:05 am

हिमाचल प्रदेश की युवा क्षमता का मूल्यांकन सही परिपे्रक्ष्य में नहीं हुआ है, लिहाजा या तो हमने शिक्षा के आवरण के भीतर ही इन्हें देखा या रोजगार कार्यालय के रजिस्टर में दर्ज किया। विडंबना यह भी कि युवा क्षमता को भेड़चाल या भीड़ के पीछे चला दिया और इस तरह जो दिखा, उसी को क्षमता मान लिया। बेशक सरकारों ने सरकारी नौकरी में युवाओं को आकर्षित किया, लेकिन चयन की पद्धतियां कुछ इस तरह रहीं कि सरकारी रोजगार और युवा क्षमता का इजहार अलग-अलग रहा। ऐसे में कुछ चुनिंदा प्रोफेशन ही सिद्ध हुए। जो युवा डाक्टर-इंजीनियर बने, वे ही क्षमतावान रहे या जो प्रशासनिक अधिकारी के रूप में सफल हुए, उनकी क्षमता का आकलन होता रहा। जो भी हो यह मानना पड़ेगा कि युवा क्षमता केवल सरकारी नौकरी के चौराहे पर खुद को कुंद करती रही। यद्यपि पिछले एक दशक में प्रदेश की युवा क्षमता से सराबोर देश के मेट्रो शहर विशेष रूप से बेंगलूर, हैदराबाद, पुणे, चंडीगढ़, मोहाली व दिल्ली में हिमाचली चेहरे ऊर्जावान दिखाई देते हैं। युवा क्षमता का एक तीसरा द्वार भी खुला है, जहां से धीमी गति से ही सही, हिमाचली युवा स्वरोजगार के नए तरीके अपना रहे हैं। इस दौरान थोड़ा बहुत नवाचार, स्टार्टअप या व्यवसाय आगे बढ़ा है, तो कोई न कोई युवा अपनी क्षमता का इजहार करता दिखाई देता है। यही है भविष्य की सफलता का मार्ग और जहां से निकलकर हिमाचली क्षमता का आगाज होगा और वास्तविक निवेश का आकाश दिखेगा। ऐसे में हिमाचल को युवाओं पर केंद्रित निवेश को परिभाषित करते हुए स्वरोजगार के रास्ते खोलने होंगे तथा ढांचागत सुविधाओं का खाका पुष्ट करना होगा। मसलन पर्यटन, उद्योग, शहरी विकास, कृषि-बागबानी, मत्स्य पालन, डेयरी से लेकर  हर व्यवसाय तथा हाउसिंग तक की संभावना में युवा क्षमता को हिमाचली निवेशक होने का अवसर देना होगा। इसमें कौशल विकास के रुख को मोड़ते हुए तथा शिक्षा के औचित्य को जोड़ते हुए, युवा निवेश एवं स्वरोजगार के जरिए क्षमता का नया इजहार करना होगा। प्रदेश के कम से कम सौ कस्बों व शहरों को चिन्हित करते हुए भविष्य के बाजारों का ढांचा खड़ा किया जाए, तो करीब पचास हजार नए व्यवसायी युवा ऊर्जा का संचार करेंगे। इसी तरह प्रमुख तथा पर्यटक मार्गों पर हर बीस किलोमीटर के बाद हाई-वे पर्यटन परिसर विकसित किए जाएं, तो इतने ही युवा स्वरोजगार को अपना सकते हैं। प्रदेश में ट्रांसपोर्ट नगरों तथा पार्किंग की अधोसंरचना के विकास में भी पचास हजार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सुनिश्चित किए जा सकते हैं। प्रदेश सरकार को दो-तीन शहरों के बीचोंबीच कर्मचारी नगरों की परिकल्पना में आवासीय ढांचा, स्कूल, स्वास्थ्य व मनोरंजन केंद्रों के अलावा व्यापारिक व्यवस्था तथा ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के जरिए युवाओं को निवेश के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इस तरह भविष्य के शहरों में हिमाचली युवा क्षमता का परिचय मिलेगा और इस क्रम में भी कम से कम पचास हजार लोगों का धंधा निखर सकता है। प्रदेश सरकार अपनी कर्मचारी व स्थानांतरण नीति को सशक्त करते हुए यह व्यवस्था करे कि हर जगह निजी क्षेत्र के सहयोग से आवासीय सुविधा उपलब्ध हो। हर बेरोजगार युवक के जरिए सरकारी कर्मचारियों के लिए आवासीय ढांचा उपलब्ध कराने की योजना बने और सरकार वित्तीय पोषण करे, तो इस तरह के निवेश से रोजगार ही पैदा होगा। किसी भी पढ़े-लिखे युवा को एक सीमा तक वित्तीय मदद के जरिए पांच से दस फ्लैट बनाने की अनुमति दें, तो कर्मचारी आवासों के किराए से युवा एक बड़े निवेश का पात्र बन सकता है। एग्रो फार्मिंग, फूलों की खेती तथा सहकारी खेती के जरिए युवा क्षमता का दोहन अभी बाकी है, जबकि वन नीति में सुधार से जंगल में युवा निवेश के रास्ते खोजे जाएं। यह जटिल प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन हिमाचली आबोहवा में जंगल केवल चीड़ उगाकर हमारे वनाधिकार नहीं छीन सकता, अलबत्ता कॉफी, फूल, हर्बल खेती के अलावा केनफ उगाकर जंगल का रिश्ता हिमाचली युवा को भविष्य से जोड़ सकता है।


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