हरड़-बेहड़ा और गुच्छी बचाने के लिए छिड़ी मुहीम
आपने अकसर लोगों को हरड़-बेहड़ा और आंवला की खूबियां गिनाते सुना होगा, लेकिन क्या आपको पता है ये औषधीय पेड़-पौधे व फसलें धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं। हम आपके लिए यह खास खबर लाए हैं, जिसमें दिव्य हिमाचल बताएगा कि कैसे किन- किन पौधों को सहेजने के लिए मुहिम छिड़ गई है, तो इनमें सबसे पहले हैं हरड़, बेहड़ा और आंवला। उसके बाद हैं नागछतरी, जौ, कूट, कोदा और गुच्छी। ग्रास रूट पर चलने वाली मुहिम में जैव विविधता बोर्ड प्रदेश भर के गांवों में प्रबंधन समितियां बनाई जा रही हैं। हिमाचल में कई लोग इन जड़ी- बूटियों की खेती छोड़ चुके हैं। प्रदेश सरकार का प्लान है कि इन सभी लोगों से दोबारा यह खेती करवाई जाए। इसके लिए किसानों की हर तरह से मदद भी की जाएगी। इस मसले को लेकर विभाग ने शिमला में स्पेशल वर्कशाप लगाई गई, जिसमें जैव विविधता विभाग के संयुक्त सदस्य सचिव निशांत ठाकुर ने बताया कि चम्बा कुल्लू, मंडी, शिमला व सिरमौर जिलों में 753 समितियों का गठन किया जा चुका है। एक माह के भीतर सभी पंचायतों में इनका गठन कर लिया जाएगा। उधर, हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता विभाग के संयुक्त सदस्य सचिव निशांत ठाकुर ने बताया कि एक माह के भीतर समूचे प्रदेश में गांव स्तर पर ऐसी समितियां बना ली जाएंगी। दूसरी ओर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपनी माटी टीम को बताया कि जड़ी बूटियों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार गंभीर है। इनका संरक्षण सरकार की प्राथमिकताओं में है। अभी जो लोग ऐसे पौधे उगा रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाएगा।
बुखार की गोली है नहीं और सपने ऑस्ट्रेलिया से भेड़ लाने के
पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर
हिमाचल के वेटरिनरी हास्पिटल्ज में भले ही पशुओं को बुखार-जुकाम की गोली न मिलती हो, लेकिन हमारे हुक्मरानों के सपने बड़े बड़े हैं। चाहे मामूली से टीकों के लिए पशुपालकों को प्राइवेट मेडिकल स्टोरों में लुटना पड़ता हो, लेकिन पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर का दावा है कि प्रदेश के भेड़पालकों को विदेशी मैरीनों किस्म की भेड़ें बांटी जाएंगी। इस तरह की घोषणा पहले भी हुई है, लेकिन जब मंत्री महोदय बार- बार यह दोहरा रहे हों, तो लाखों भेड़पालकों को उम्मीद जरूर बंधी है। ऊना में एक कार्यक्रम के दौरान वीरेंद्र कंवर ने जोर देकर कहा कि वह खुद आस्ट्रेलिया का दौरा कर आए हैं। यह योजना बड़ी फायदेमंद साबित होगी। उधर, पशुपालक कहते हैं कि यह तो उन को भी पता है कि मैरीनों किस्म की भेड़ें आस्ट्रेलिया में होती हैं। उनमें जहां ऊन ज्यादा होती है, वहीं मांस की मात्रा भी खूब होती है। सवाल यह भी कि कहां, किसे और कितने दामों में ये भेड़ें दी जाएंगी। आइए तब तक इंतजार करते हैं।
-ऊना से मुनिंद्र अरोड़ा के साथ अनिल पटियाल की रिपोर्ट
ये भी जान लें
* हिमाचल में सेवाएं दे रहे कुल 284 वेटरिनरी अस्पताल
* प्रदेश भर में 7 पोलीक्लीनिक, 30 केंद्रीय पशु औषद्यालय
* विभिन्न जिलों में 1762 पशु औषद्यालय व 6 मेडिकल चेकपोस्ट
अब डबल पेनल्टी के लिए तैयार रहें आढ़ती
बागबानों से बिना लाइसेंस सेब खरीदने वालों आढ़तियों को अब डबल पैनल्टी भरनी पड़ेगी। एपीएमसी ऐसे मामलों में पहले तीन फीसदी जुर्माना वसूल रही थी, लेकिन अब ऐसे मामलों में छह फीसदी जुर्माना लगेगा। उधर एपीएमसी का दावा है कि सख्ती के बाद कई आढ़तियों ने लाइसेंस बनवाना शुरू कर दिए हैं, जबकि कइयों ने कार्रवाई के डर से कारोबार छोड़ दिया है। जानकारी के अनुसार एपीएमसी ने हाल ही में लाइसेंस न बनाने पर सात आढ़तियों के सेब से लदे ट्रक रोक कर तीन फीसदी के हिसाब से जुर्माना वसूला है। एपीएमसी ने जुर्माना वसूलने के साथ ही इन आढ़तियों को निर्देश दिए हैं कि अगर उन्होंने जल्द ही लाइसेंस नहीं बनाए तो अगामी दिनों के दौरान पैनल्टी छह फीसदी के हिसाब से वसूली जाएगी। इसकी पुष्टि एपीएमसी के चैयरमैन नरेश शर्मा ने की है। उन्होंने कहा कि सात आढ़तियों से तीन प्रतिशत के हिसाब से पेनल्टी वसूली गई है। अगामी दिनों के दौरान यह पेनल्टी छह फीसदी के हिसाब से वसूली जाएगी।
किन्नौर में ऐसा मामला
एपीएमसी शिमला किन्नौर ने जिला में औचक निरीक्षण कर आढ़तियों का रिकॉर्ड खंगाला था। इस दौरान करीब 15 आढ़ती ऐसे पाए गए थे, जो बिना लाइसेंस के बागबानों से सेब की खरीद फरोख्त कर रहे थे। इन आढ़तियों पर लगाम कसने के लिए अब चैक पोस्ट पर इन आढतियों के वाहन रोक कर पैनल्टी लगाई जा रही है।
भुगतान न होने पर तुरंत करें शिकायत
एपीएमसी के चैयरमैन नरेश शर्मा ने बागबानों से आग्रह किया है कि जिन बागबानों को आढ़तियों द्वारा निधार्रित समय पर फसल की पेमेट का भुगतान नहीं किया जाता है, तो वह इसकी शिकायत तुरतं एपीएमसी को करें।
किसान सभा को बाइपास कर जीरो बजट खेती को हांकने की तैयारी तेज
भले ही किसान सभा कई बार प्राकृतिक खेती के कांसेप्ट को नकार चुकी हो,लेकिन प्रदेश सरकार हार मानने वाली नहीं है। किसान सभा को बाइपास कर हिमाचल की जयराम सरकार इस प्रोजेक्ट को और तेज करने वाली है। प्रदेश सरकार ने फिर दोहराया है कि इस साल 50 हजार किसानों को जीरो बजट खेती से जोड़ा जाएगा। अभी प्रदेश में 64 सौ किसान जीरो बजट खेती से जुड़ पाए हैं। कृषि मंत्री का दावा सही निकला,तो वर्ष 2022 तक हिमाचल को प्राकृतिक खेती राज्य घोषित कर दिया जाएगा। हाल ही में मिटटी जांच वैन और त्यूड़ी में किसान मेले के दौरान मारकंडेय ने यहां तक कहा कि यह वैन किसानों को सोइल टेस्ट के अलावा जीरो बजट खेती के फायदे भी बताएगी। अब चाहे कृषि मंत्री कुछ भी कह लें,किसान सभा के तमाम नेताओं ने जीरो बजट खेती को घाटे का सौदा बताकर किसानों से सबसे बड़ा धोखा करार दिया है।
-ऊना से मुनिंद्र अरोड़ा के साथ अनिल पटियाल
रूपी घाटी के अनार की मिठास पर पूरा देश फिदा
जिला कुल्लू की रूपी बैल्ट ने देश भर में अनार उत्पादन से अपनी खास जगह बना ली है। प्रदेश में पैदा होने वाले कुल अनार का 50 फीसदी से अधिक उत्पादन कुल्लू की इसी बैल्ट से हो रहा है और इससे यहां के बागबान मालामाल होने लगे हैं। सितंबर माह में भुंतर सब्जी मंडी में 110 टन अनार रूपी बेल्ट का पहुंचा है जबकि प्रदेश की अन्य सभी मार्केटों से करीब 90 टन फसल पहुंची हैं। पिछले साल इसी माह के दौरान 475 टन फसल पहुंची थी और उसमें अकेले भुंतर मंडी में ही पहुंची खेफ 355 टन थी। समुद्रतल से 1100 से 1200 मीटर की ऊंचाई वाले इस इलाके का अनार की खेती ने कायाकल्प कर दिया है।
महाराष्ट्र को मिली टक्कर
घाटी का अनार महाराष्ट्र के अनार को सबसे ज्यादा टक्कर देता है। आने वाले दिनों में अनार के दामों में और ज्यादा वृद्धि की संभावना है।
यहां सबसे ज्यादा होती है फसल
इन दिनों यहां बजौरा, हुरला, जीया, भुंतर, शमशी, बागीचा, आड़ू सहित मणिकर्ण इलाके के बागबानों का अनार भुंतर सब्जी मंडी में पहुंच रहा है। ये किस्में बैल्ट अनार की नई किस्में शोध का केंद्र भी बन चुकी हैं।
-हीरा लाल ठाकुर, भुंतर
हर 10 मीटर पर एक सांड….. यह किसान है भाई
यह सुजानपुर बाजार है। बाजार का शायद ही कोई किनारा या सड़क हो, जिसमें लावारिस पशु न हों। कहीं गाय, तो कहीं सांड, कहीं बैल तो कहीं बंदर लोगों का खून फूंक देते हैं। यह आलम हिमाचल के हर चौक-चौराहे का है। शिमला से चंबा तक नेशनल हाई वे हो या फिर लिंक रोड, हर 10 मीटर पर बेलगाम सांड गाडि़यों से टकराने के लिए तैयार रहता है। लावारिस पशु अब तक प्रदेश में सैकड़ों लोगों की जान ले चुके हैं, कइयों को जख्म भी दिए हैं। किसान मंच के मुख्य संयोजक केके कौशल कहते हैं कि अब तक प्रदेश की 50 हजार एकड़ जमीन लावारिस पशुओं की बदौलत बंजर हो चुकी है। अकेले बिलासपुर जिला में ही ये पशु 7 लोगों की जान ले चुके हैं। इसके अलावा ऊना-हमीरपुर, सोलन चंबा आदि जिलों में भी कई लोग इनका शिकर बन चुके हैं। किसान मंच ने जयराम सरकार से मांग उठाई है कि ऐसे हमलों में मारे जाने वाले लोगों के परिजनों को 20 लाख रुपए मुआवजा दिया जाना चाहिए।
आइए मिलते है दिमाग तेज करने वाले मशरूम से
खुंब अनुसंधान निदेशालय चंबाघाट (सोलन) ने मशरूम की नई प्रजाति को विकसित किया है। हिरेशियम नाम से विकसित की गई यह प्रजाति औषधीय गुणों से भरपूर है और इसका सेवन करने से नर्वस सिस्टम कंट्रोल करने में सहायता मिलेगी वहीं, इससे याददाश्त बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। मशरूम की इस प्रजाति में बीटागम गलॉकन, साइकेन सहित हरेशीमॉन तत्व पाया जाता है, जोकि दिमाग की नसों के लिए फायदेमंद होता है। खुंब अनुसंधान निदेशालय चंबाघाट की ओर से हिरेशियम मशरूम पर चार वर्षों से कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में वैज्ञानिकों को अप्रत्याशित सफलता मिली है। बीज डालने के बाद इसे 18 से 20 डिग्री के तापमान में रखा जाता है, जिसमें थोड़ी ग्रोथ आने के बाद इसे 23 से 25 डिग्री तामपान दिया जाता है। यह मशरूम 35 से 40 दिनों में पहला उत्पादन देना आरंभ कर देता है।
-सौरभ शर्मा, सोलन
हिरेशियम मशरूम को ऐसे करें प्राप्त
हिरेशियम मशरूम को तैयार करने में वैज्ञानिक पिछले चार वर्षों से कार्य कर रहे थे, जिसके बाद इसमें वैज्ञानिकों को सफलता मिली है। इस मशरूम में बहुत से औषधीय गुण हैं। इसकी तकनीक पूरी तरह से विकसित की जा चुकी है और यह उत्पादकों के लिए उपलब्ध है।
डा. वीपी शर्मा
निदेशक, खुंब अनुसंधान निदेशालय, चंबाघाट, सोलन।
माटी के लाल
सुजान से जुड़े 40 होनहार किसान
फसलों पर जंगली जानवरों के हमलों से न डरते हुए लगातार इस किसान ने आठ साल तक संघर्ष कर फसल उगाई। आज आलम यह है कि करीब चालीस अन्य किसान भी प्रेरणा पाकर नकदी फसलों को उगा रहे हैं। इस होनहार किसान का नाम है सुजान सिंह। यह कांगड़ा जिला के फतेहपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत भाटी के रहने वाले हैं। इन्होंने जहां इस सीजन में खीरे की अढ़ाई क्विंटल फसल निकाली, वहीं अब फूलगोभी की पनीरी को लगा रहे हैं। सुजान कहते हैं कि सभी किसानों तक सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में उन्हें महंगे बीज खरीदने पड़ते हैं। प्रदेश के कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय को चाहिए कि वह किसानों को सस्ते बीज दिलाने पर ध्यान दें। साथ ही जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए बयानों की जगह सटीक रास्ता सुझाएं। दूसरी ओर इस पंचायत के किसानों की टोली तीस किलोमीटर दूरी पर स्थित जसूर सब्जी मंडी में अपनी सब्जियां बेचने को जाती है।
-सुखदेव सिंह,नूरपुर
जीरो बजट सेब से लिखी कामयाबी की कहानी
हिमाचल में सालाना 4 करोड़ सेब की पेटियों का उत्पादन होता है। यह सब बागबानों की मेहनत से संभव हो पाता है। इसमें प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना काफी मददगार साबित हो रही है। सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि के तहत सेब बागबानी कर रहे। बागबानों ने बताया कि उन्हें संतोषजनक परिणाम देखने को मिले हैं। इनमें से एक हैं पिछले 15 सालों से ठियोग तहसील की लाफूघाटी की महिला बागबान सत्या देवी अकेले अपने बागीचे को संभाल रही हैं और इसी बागीचे से होने वाली कमाई से अपना और अपनी बेटी का भरण-पोषण कर रही हैं। सत्या ने अब पूरी तरह से प्राकृतिक खेती को अपना लिया है। दूसरी ओर ठियोग तहसील के भराणां गांव के बालकृष्ण लगभग 20 वर्षों से सेब बागबानी कर रहे हैं। बालकृष्ण के पास सेब की स्पर, गोल्डन वेरायटी के 250 पौधे हैं। उन्हें भी अच्छे परिणाम मिले हैं। वह अब दूसरे बागबानों को भी इस विधि के बारे में बता रहे हैं।
-प्रतिमा चौहान, शिमला
सीधे खेत से
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