अगला युद्ध स्वदेशी हथियारों से लड़ेंगे और जीतेंगे भी

By: Oct 16th, 2019 12:20 am

नई दिल्ली – सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को सशस्त्र बलों में स्वदेशी तकनीक को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की वकालत करते हुए कहा कि भारत अगला युद्ध देश में ही विकसित हथियारों के साथ लड़ेगा और जीतेगा। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 सालों के बाद भी भारत का दुनिया में हथियारों और गोला-बारूद के सबसे बड़े आयातकों में शामिल होना ठीक नहीं है। हालांकि अब यह स्थिति बदल रही है। 41वें डीआरडीओ निदेशक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने यह भी कहा कि हथियारों और अन्य प्रणालियों का विकास भविष्य के युद्धों को दिमाग में रखकर होना चाहिए। जनरल रावत ने कहा कि भविष्य में युद्ध किस तरह लड़े जाएंगे, उनकी रूपरेखा कैसी होगी, अगर हम इसके बारे में सोचें तो जरूरी नहीं कि ये युद्ध आमने-सामने से लड़े जाएं। हमें साइबर क्षेत्र, अंतरिक्ष, लेजर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और रोबॉटिक्स के विकास के साथ आर्टिफिशियल इंटेजिलेंस की ओर देखना होगा। और अगर हम इस बारे में नहीं सोचते हैं तो बहुत देर हो जाएगी। सेना प्रमुख ने साथ में स्वदेशी रक्षा तकनीकों के विकास के लिए डीआरडीओ की भी तारीफ की और कहा कि इससे भारत को बहुत लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कई उपलब्धियां अपने नाम कीं। जनरल रावत ने कहा कि भारत अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। हमें विश्वास है कि सेनाओं को इससे बहुत लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत हथियारों और गोला-बारूद के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और आजादी के 70 साल बाद भी ऐसा कहना कोई गौरव की बात नहीं है। हालांकि पिछले कुछ सालों में यह स्थिति बदल रही है। डीआरडीओ सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयासरत है, जो स्वदेशी समाधानों से निकली हों। डीआरडीओ भवन में आयोजित दो दिवसीय उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विशिष्ट अतिथि थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ  मार्शल आरकेएस भदौरिया, नौसेना प्रमुख ऐडमिरल करमबीर सिंह और डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी भी इस मौके पर मौजूद थे।


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