अब निजी और सरकारी स्कूलों में एक ही नीति

शिमला  – निजी व सरकारी स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा को लेकर अब एक ही पालिसी जल्द लागू होगी। यानी कि स्कूल में छात्रों के मानसिक व शारीरिक विकास से लेकर प्रबंधन को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। एनसीपीसीआर यानी कि नेशनल कमीशन फार प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट ने यह सख्ती सभी शिक्षण संस्थानों पर अपनाने का फैसला ले लिया है। इसके लिए हिमाचल से भी एनसीपीसीआर ने सुझाव मांगे है। एनसीपीसीआर ने साफ किया है कि अब स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा को लेकर एक ही नियम और कानून लागू किया जाएगा। इसके लिए नेशनल लेवल की पालिसी बनाई जाएगी। इस पालिसी में 1 से 18 साल तक के छात्रों के मानसिक व शारीरिक विकास को लेकर नियम तय किए जाएंगे। जानकारी के अनुसार पालिसी लागू होने के बाद स्कूल प्रबंधन को जहां स्कूल में रहते हुए छात्रों की जिम्मेदारी लेनी होगी, वहीं  घर में उन्हें किस तरह का माहौल मिल रहा है, इसका भी ध्यान रखना होगा, ताकि छात्र मानसिक रूप से परेशान न हो सकें। प्रदेश शिक्षा विभाग को एनसीपीसीआर से आए पत्र में यह भी साफ किया गया है कि छात्रों को वाहन में घर पहुंचाने तक की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की ही होगी। अहम यह है कि अगर एनसीपीसीआर की नई पालिसी लागू हो जाती है, तो यह भी देखा जाएगा कि स्कूलों में छात्रों को खाने-पीने के लिए क्या दिया जा रहा है। स्कूलों में छात्रों को मिड- डे मील के तहत पौष्टिक खाना मिल रहा है या नहीं, ये सब चैक किया जाएगा। वहीं शिक्षण संस्थानों में छात्रों को मिलने वाले पौष्टिक  खाने से उनका शारीरिक विकास हो भी रहा है, इस पर भी पैनी नजर रहेगी। हालांकि अभी यह कोई भी नियम पालिसी के रूप में लागू नहीं हुए हैं। बताया जा रहा है कि हिमाचल सहित अन्य राज्यों के शिक्षा विभाग से इस बारे में जब सुझाव आएंगे, तो तभी इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। साथ ही निजी व सरकारी स्कूलों को एनसीपीसीआर को ऑनलाइन छात्रों की सुरक्षा और बचाव को लेकर उठाई जाने वाली नई पहल की रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि अगर स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा व बचाव पर कोई पालिसी बन जाती है, तो ऐसे में स्कूल प्रबंधन को चौकस रहना पड़ेगा। छात्रों को स्कूल से घर, घर से स्कूल ले जाने तक की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। ऐसे में नई पालिसी सरकारी स्कूलों पर गाज गिरा सकती है। दरअसल हिमाचल के सरकारी स्कूलों में छात्रों को आने व ले जाने के लिए गाडि़यों की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे मेें सुरक्षा पालिसी लागू हो जाती है, तो इसका बंदोबस्त करना स्कूल प्रबंधन को जरूरी हो जाएगा।