अस्पतालों में अभी भी ‘घटिया’ दवाओं के ढेर

By: Oct 21st, 2019 12:30 am

 सरकारी सप्लाई से सब-सटैंडर्ड मेडिसिन मिलने के बाद जांच में खुलासा, स्टॉक में अभी भी 40 हजार गोलियां शेष

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शिमला  –सरकारी सप्लाई में घटिया दवाआें के  खुलासे के बाद अब जांच में एक और कलई खुली है। इसमें सामने आया है कि अभी संबंधित जिलों में दवाआें की काफी गोलियां बची हैं। इसमें दवाआें की करीब 40 हजार गोलियों का स्टॉक शेष है। ये दवाएं कहीं और भी इस्तेमाल हो रही हैं या नहीं, इसका खुलासा जांच के बाद ही हो पाएगा, लेकिन जिसने इन फ्री दवाआें का इस्तेमाल किया होगा, उसके स्वास्थ्य के साथ जरूर खिलबाड़ हुआ है। इसमें अभी टेलमिजारटेन की 10 हजा़र गोलियां और दूसरी दवा लिवोस्ट्रिज़िन की लगभग तीस हजा़र गेलियां संबंधित अस्पतालों में स्टॉक के तौर पर बची हैं। हैरानी तो यह है कि सरकार की ओर से अकसर यह दबाव डाक्टरों पर रहता है कि सरकारी सप्लाई की फ्री दवाएं ही मरीज को दी जाएं।  गौर हो कि सरकारी सप्लाई में घटिया दवाएं मरीज़ों को दी जा रही हैं। इसका खुलासा मंडी और कुल्लू में पकड़ी गई घटिया दवाआें से हुआ है। इसकी शिकायत संबंधित जिला सीएमओ से की गई है। अब उम्मीद है कि जल्द कार्रवाई होगी। हैरानी तो यह है कि जो दवाएं सब-स्टैंडर्ड निकली हैं, उनमें सभी जीवन रक्षक दवाएं शामिल है। इनमें मंडी में मिली घटिया दवा में से एक दवा का नाम टेलमिजारटेन है और दूसरी दवा का नाम लिवोस्ट्रिज़िन है। पहले ये दोनों दवाएं मंडी के अस्पतालों में मिलीं, जिसमें टेलमिजा़रटेन की एक्सपायरी डेट मई, 2021 है, वहीं लिवोस्ट्रिज़िन दवा की एक्सपायरी डेट नवंबर, 2020 है। टेलमिजा़रटेन की दवा की शिकायत में यह सामने आया है कि जब इसे खोला गया तो ये पाउडर बन चुकी थी, वहीं दूसरी ओर लिवोस्टि्रेज़िन मेडिसिन भी पाउडर के रूप में ही मिली। कुल्लू की सरकारी सप्प्लाई में भी घटिया दवा मिलने का खुलासा हुआ है। इसमें गेस्टिक की दवा रेंटीडीन की भी शिकायत जिला सीमओ से की गई है। शिकायत में कहा गया है कि दवा की कई स्ट्रिप्स तो खाली थीं, जब एक को खोला गया, तो दवा मैल्ट हो चुकी थी।

हिमाचल में बनी दवा पर उठ रहे सवाल

यह दवा कालाअंब और सोलन में बनी बताई जा रही है। दवा की सप्लाई हिमाचल प्रदेश के अन्य अस्पतालों में होने की संभावना जताई गई है। देखा जाए तो सरकारी अस्पतालों में सबसे अधिक मध्यम और निम्न तबके के मरीज़ इलाज करवाने आते हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार व विभाग फ्री दवाआें पर किस तरह चैक रखते हैं, इस पर सवाल खड़े हो रहे है?


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