आजकल की लेखनी सिर्फ खुद तक सिमटी

By: Oct 14th, 2019 12:30 am

लिट फेस्ट में अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा, जमाने के लेखकों में दूरगामी सोच

कसौली (सोलन) – आठवां खुशवंत सिंह लिटफेस्ट रविवार को कसौली में संपन्न हो गया। लिटफेस्ट का तीसरा एवं अंतिम दिन फिल्मी अदाकाराओं के नाम रहा। इस दौरान अभिनेत्री मनीषा कोइराला व बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री शबाना आजमी ने चर्चा में भाग लिया। दोपहर करीब डेढ़ बजे तक चले सत्र के समापन के बाद लेखक, साहित्यकार व फिल्मी जगत से जुड़े कलाकार अगले वर्ष फिर आने का वादा कर लौटे। वहीं सदी की अभिनेत्री शबाना आजमी ने कसौली क्लब में मीडिया जगत एवं कैफी आजमी की नजमों के अलावा किसी अन्य विषय पर बात नहीं की, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि आज के लेखकों एवं जमाने के लेखकों में बहुत फर्क है। आज कोई पढ़ना ही नहीं चाहता, जो कि दुखद है। उन्होंने कहा कि उस जमाने के लेखकों में दूरगामी सोच की लेखनी थी, उससे समाज में बदलाव आता था, लेकिन आज की लेखनी सिर्फ अपने आप तक ही सीमित है। इसके अलावा लिटफेस्ट का तीसरा दिन सादगी एवं इमोशन से भरपूर रहा। इसके बाद फिल्मी जगत की अभिनेत्री शबाना आजमी, सुदीप सैन और सैफ महमूद के बीच ए ट्राइंफ ऑफ गुड ओवर एविल पर चर्चा हुई। चर्चा में शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी के 100 वर्ष होने पर उनकी नजमों पर आधारित किताबों एवं कविताओं पर आधारित रहा। सबसे अधिक चर्चा उनके द्वारा लिखी कविता औरत पर हुई। विशेषकर, उठ मेरी जान, मेरे साथ चलना है तुझे, पर चर्चा हुई कि कैसे कैफी आजमी ने महिला की दिनचर्या को इसमें दर्शाया और उन्हें पुरुषों की तरह काम करने के लिए प्रेरित किया।

बिना रजिस्ट्रेशन एंट्री नहीं

कसौली क्लब में आयोजित आठवें खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में लोग साहित्यकारों को सुनने के लिए पहुंचे। हालांकि कसौली के ऐतिहासिक क्लब में बिना पंजीकरण किसी भी व्यक्ति को जाने की इजाजत नहीं होती है। यह देश का पहला ऐसा क्लब है, जहां पर क्लब की सदस्यता लेना आसान नहीं होता। लिटफेस्ट में बहुत से लोगों को पंजीकृत न होने से वापस लौटना पड़ा।

पाकिस्तान पे्रम पर बजरंग दल में रोष

कसौली  – कसौली में चल रहे खुशवंत सिंह लिटफेस्ट कार्यक्रम में कुछ साहित्यकारों का पाकिस्तान के प्रति प्रेम देख कर राष्ट्र भक्त, राष्ट्रहित चिंतक संगठन बजरंग दल ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए रोष प्रकट किया है। बजरंग दल के प्रदेश सह संयोजक भाई पवन समैला ने कार्यक्रम के दोरान हिंदू भावनाओं को भड़काने हेतु श्रीराम जन्मभूमि व धारा-370 हटाए जाने के संदर्भ में दी गई टिप्पणी पर कड़ा रोष प्रकट किया है। पवन समैला ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, उस मामले पर साहित्यकार सादिया देलवी द्वारा कोई बयान देना सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना है। श्रीराम जन्मभूमि मामला करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं से जुड़ा है, यह बयान हिंदू भावनाओं को भड़काने वाला है। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत देश में देशद्रोही विचारधारा रखने वाले लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। इस मौके पर उनके साथ जिला कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण डोडा, जिला सह संयोजक संजीव पराशर, जिला सुरक्षा प्रमुख जितेंद्र, जिला बलोपासना प्रमुख सुरेंद्र कुमार, जिला सह सुरक्षा प्रमुख देवेंद्र चंदेल, जिला सह अखाड़ा प्रमुख मुकेश कासला, जिला गो रक्षा प्रमुख गुरमीत सिंह, प्रखंड मंत्री बलवंत भट्टी, नगर गौरक्षा प्रमुख कृष्ण पाल, प्रखंड गोरक्षा प्रमुख मदन लाल, वीर सिंह कश्यप, जोगेंद्र सिंह, प्रदीप कुमार, राजकुमार आदि मौजूद थे।

हाथों-हाथ बिकी हील्ड, कैफी आजमी

अंतिम पड़ाव के कैंसर को मात देकर लौटी मनीषा कोइराला ने हील्ड (हॉउ कैंसर गेव मी ए न्यू लाइफ) किताब लिखी। इसमें उन्होंने जिक्र किया है कि कैसे उन्हें कैंसर हुआ और कब उन्हें कैंसर होने का पता चला। इस किताब में यह सब बातों का भी जिक्र है कि उसके बाद उन्होंने कैसे सामना किया। साथ ही यह भी लिखा है कि उन्हें पता था कि उन्होंने कैसे कैंसर को मात देनी है, क्योंकि वह बिलकुल भी नेगेटिव नहीं थीं। मनीषा कोइराला की इमोशनल स्टोरी पर आधारित किताब हील्ड की 50 प्रतियां बिक्री के लिए कसौली क्लब में उपलब्ध थीं। हैरत की बात यह कि इस किताब का सारा स्टॉक आधे घंटे में ही खत्म हो गया। अधिकतर लोगों को उनकी यह किताब नहीं मिल सकी। यही नहीं, शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी की नजमों एवं कविताओं पर आधारित किताब (कैफी आजमी) का स्टाक भी चंद घंटों में समाप्त हो गया।

मनीषा कोइराला ने कर दिया इमोशनल

मशहूर फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला की ए स्टोरी ऑफ ए न्यू लाइफ ऑफ कवरेज एंड होप विषय पर हुई चर्चा ने उपस्थित लोगों को इमोशनल कर दिया। यह चर्चा उनके कैंसर के दिनों में पल-पल बिताए एक-एक क्षण पर आधारित थीं। उन्होंने इन पलों को अपनी किताब हिल्ड (हॉउ कैंसर गेव मी ए न्यू लाइफ) में अंकित किया है, जिस पर व्यापक चर्चा की गई। एक घंटे तक चली इस चर्चा में उनके साथ साथया सरन मौजूद रहीं।

जिनसे थी आस वे नहीं अजनबी बने पीड़ाहारक

कसौली – कैंसर को मात देकर नई जिंदगी जी रहीं बालीवुड की अदाकारा मनीषा कोइराला का दर्द कसौली में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में छलक उठा। कसौली में खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में बतौर वार्ताकार पहुंचीं अदाकारा एवं लेखिका मनीषा कोइराला ने कहा कि जिन लोगों से मैंने उम्मीद की थी, वे लोग सामने ही नहीं आए। हालांकि जिन्हें मैं नहीं जानती थी, उन लोगों ने बहुत स्पोर्ट किया और मुझे हिम्मत दी। नए-नए लोग मिलते गए और नए-नए रिश्ते बनते गए। खासतौर पर जो कोई स्टार उनके साथ जुड़े थे, उनमें से कोई भी उस बुरे वक्त में उनके पास नहीं आया, लेकिन अजनबी लोग ही उनके पीड़ाहारक बने। हालांकि बाद में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जब वह इस बुरे दौर से गुजर रहीं थी, तो वह अपने आप सभी लोगों से दूर हो गई थीं। उन्होंने कहा कि कभी भी किसी को कोई भी बीमारी हो, तो इग्नोर नहीं करनी चाहिए। वक्त पर इलाज करना जरूरी होता है। दूसरी बात उन्होंने यह कही कि यदि हर चीज को पॉजीटिव के साथ फेस किया जाए, तो बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकल जाता है। अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वह ठीक होंगी, लेकिन मैंने कुछ और करना था और देखना था, इसलिए आज मैं जिंदा हूं। उन्होंने कहा कि जब कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझने के बाद लोग घबरा जाते हैं, लेकिन मेरे अपनों ने मुझे संभाला। मनीषा ने कहा कि परिस्थिति कोई भी हो, हमें हमेशा खुश रहना चाहिए। बीमारी को एक्सेप्ट करना चाहिए, उससे डरना नहीं चाहिए। निराशा तो होती है, मैं रोती भी थी और उदास भी होती थी, लेकिन कीमो थैरेपी मेरे लिए मैजिक था। वह एक ऐसा दौर था, जिसने मुझे कैंसर फ्री किया।


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