इस गांव में नहीं बजती मोबाइल की घंटी

बड़सर के घंघोट में अभी तक नहीं पहुंचा टेलीकॉम कंपनियों का सिग्नल

बिझड़ी – आधुनिकता के इस युग में जहां देश भर में डिजिटल इंडिया की बात की जा रही है और जमाना टू-जी, थ्री-जी, फोर-जी और यहां तक की फाइव-जी की भी बात कर रहा है, वहीं हमीरपुर जिला का एक गांव ऐसा भी है, जहां ग्रामीणों के लिए इन सब बातों के कोई मायने नहीं। यहां आज तक कोई भी टेलीकॉम कंपनी अपना सिग्नल नहीं पहुंचा पाई। एक्सपर्ट की मानें, तो इस गांव का एरिया मोबाइल टावरों के राडार में ही नहीं आता। जी हां हम बात कर रहे हैं हमीरपुर जिला के बड़सर उपमंडल के घंघोट गांव की। गांव की आबादी सैकड़ों में हैं, लेकिन डिजिटलाइजेशन के इस युग में भी गांव के लोग कभी अपने घरों में बैठकर मोबाइल पर बात नहीं कर पाए। ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों के पास मोबाइल फोन नहीं हैं। फोन सबने ले रखे हैं, लेकिन यदि उन्हें फोन पर बात करनी हो, तो गांव से बाहर जाना पड़ता है। कभी अगर भूल-भटके सिग्नल आ भी जाता है, तो बात पूरी नहीं हो पाती है। गांव में सिग्नल न होने के कारण ग्रामीण कभी इंटरनेट का प्रयोग ही नहीं कर पाए। बताते हैं कि गांव के लोग इस समस्या को सांसद अनुराग ठाकुर के समक्ष भी उठा चुके हैं, जिस पर उन्होंने समस्या के समाधान के लिए आश्वासन भी दिया था। ग्रामीण अंकुश गरयाल, सुरजीत सिंह, निर्मल कुमार, विक्रम सिंह, प्रवीण सिंह व राकेश धीमान का कहना है कि 4जी के जमाने में भी हम लोग डिजिटल इंडिया से दूर हैं। मोबाइल पर बात करने के दौरान कॉल डिस्कनेक्ट हो जाती है। गत दिनों आइडिया कंपनी के कर्मचारी गांव का दौरा करने आए थे। उन्होंने सेटेलाइट इमेज के जरिए जब क्षेत्र का निरीक्षण किया, तो पाया कि घंघोट का एरिया मोबाइल टावरों की राडार से बाहर आ रहा है। राजिंद्र कुमार, सहायक अभियंता बीएसएनएल ने बताया कि घंघोट व उसके आसपास के इलाकों में बीएसएनएल सिग्नल की समस्या है। बीएसएनएल का एक टावर लगाने की प्लानिंग की है। अगले फेस में गांव में टावर लगाकर सिग्नल की समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।

किसी कंपनी का सिग्नल नहीं

बीडीसी सदस्य सुभाष राठौर के अनुसार घंघोट पंचायत के कई घरों में किसी भी कंपनी का सिग्नल नहीं पहुंच पाता है। नेट चलाना तो दूर है, लोगों की मोबाइल फोन पर बात तक नहीं हो पाती है। उनका कहना है कि इस संदर्भ में सांसद अनुराग ठाकुर के समक्ष मामला उठाया गया था, लेकिन उनके आश्वासन के बावजूद समाधान नहीं हो पाया है।