ऊना में ‘मैं महात्मा गांधी हूं’

By: Oct 24th, 2019 12:20 am

ऊना –भाषा एवं संस्कृति विभाग ऊना व राज्य संग्रहालय शिमला द्वारा प्राचीन संस्कृतिक धरोहर को सहेजने का प्रयास सराहनीय है। यह बात बुधवार को एडीसी ऊना अरिंदम चोधरी ने हस्त शिल्प मेले में बतौर मुख्यातिथि अपने संबोधन में कही। उन्होंने कहा कि  इस धरोहर को संजो कर रखने में हम सब को अपना योगदान करना चाहिए।। नगर परिषद पार्क ऊना में (20 से 24 अक्तूबर 2019 तक) पांच दिवसीय हस्तशिल्प मेले का आयोजन करवाया जा रहा है। इसमें जिला ऊना व दूसरे जिलों से आए हस्तशिल्प कारीगर, चित्रकार मूर्तिकार व हाथ से बने हुए साज सज्जा के सामान की दुकानें सजी हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित इस कार्यक्रम में जहां हस्तशिल्प कलाकारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं, मेले में प्रतिदिन साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करवाया जा रहा है। मेले के तीसरे दिन बुधवार को को कविता  प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया। इसमें जिला ऊना के विभिन्न महाविद्यालयों के 22 प्रतिभागियों ने भाग लिया। विद्यार्थियों ने हिमाचल प्रदेश की संस्कृति से जुड़ी पहाड़ी कविताएं, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के व्यक्तित्व पर, देशभक्ति पर हिंदी कविताएं पढ़ी। विद्यार्थियों की एक से बढ़कर एक युवा जोश वाली कविताएं सुनने को मिली। प्रतियोगिता में राजकीय महाविद्यालय अंब की छात्रा मनीषा ने महात्मा गांधी जी के आदर्शों का बखान करते हुए ‘मैं गांधी हूं’ नामक कविता पढ़कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। राजकीय महाविद्यालय ऊना की छात्रा रितिका धीमान ने जन जन को बांधे मधुर सूत्र में ऐसी है ये हिंदी, अंग्रेजों की नींव रख ऐसी है ये हिंदी कविता सुनाकर दूसरा स्थान प्राप्त किया और राजकीय महाविद्यालय अंब की छात्रा प्रियंका ने कविता ‘बापू तेरा कर्म क्या निभाया धर्म गोरों को भगाया मजा आ गया’ को सुर में गाकर तृतीय स्थान प्राप्त किया। राजकीय महाविद्यालय बंगाणा की सुलेखा व इंड्स महाविद्यालय की छात्रा निधि को उनकी बेहतर प्रस्तुतियों के लिए सांत्वना पुरस्कार दिए गए। सांस्कृतिक कार्यक्रम में अतिरिक्त उपायुक्त ऊना अरिंदम चौधरी मुख्यातिथि के रूप के पधारे तथा विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। उन्होंने भाषा एवं संस्कृति विभाग की संस्कृति को सहेजने के इस प्रयास के लिए बधाई दी। इस मेले में पारंपरिक प्राचीन लोक संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम भी करवाए जा रहे हैं, जिससे प्राचीन संस्कृति का संरक्षण व संवर्द्धन किया जा सके।

 

 

 


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