ऑनलाइन शॉपिंग की मार… सुनसान पड़ा घुमारवीं बाजार

घुमारवीं –त्योहारी सीजन पर कमाई की चाहत पाले दुकानदारों पर ऑनलाइन शॉपिंग की मार पड़ी है। इसके कारण घुमारवीं बाजार सुनसान पड़ा है। त्योहारी सीजन को ग्राहकों को रिझाने के लिए दुकानदारों ने आकर्षक ऑफर भी दे रखे हैं, लेकिन बावजूद इसके खरीददारी को लोगों का उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। ऑनलाइन की मार से निपटने के लिए घुमारवीं के दुकानदार अब प्लान बना रहे हैं। इसके तहत कई दुकानदार ऑनलाइन से भी कम कीमत पर सामान बेचने को तैयार हैं। इसके लिए बाकायदा पफलेंट छपा रहे हैं। दुकानदार इस मंदी के लिए ऑनलाइन शॉपिंग को दोषी मान रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि ऑनलाइन शॉपिंग का प्रचलन बढ़ने के कारण लोग बाजार में कम आ रहे हैं। त्योहारी सीजन के चलते एक माह पूर्व ही लोग खरीददारी को दुकानों में उमड़ पड़ते थे। अब त्योहारी सीजन ऑन भी हो गया है, उसके बावजूद लोग दुकानों में खरीददारी को नहीं पहुंच रहे हैं। यदि त्योहार का दिन हो, तो उस दिन बाजार में लोगों की कुछ भीड़ होती है, लेकिन अब हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व दिवाली को कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। फिर भी लोगों में त्योहारी सीजन को लेकर उत्साह काफी कम दिखाई दे रहा है। इससे बाजार सुनसान तथा दुकानदार मायूस दिखाई दे रहे हैं। त्योहारी सीजन को लेकर घुमारवीं बाजार में कपड़ों व जूतों से लेकर हर सामान पर दुकानदारों ने सेल लगा रखी है। फिर भी खरीददारी को ग्राहक कम ही दिखाई दे रहे हैं।  इससे दुकानदारों के लिए त्योहारी सीजन अब तक फीका ही दिखाई दे रहा है। एक्का-दुक्का ग्राहक यदि बाजार में पहुंच भी रहा है, तो वह मिठाई, मनियारी व सुनार की दुकानों पर ही दिखाई दे रहे हैं। शाम के समय घुमारवीं बाजार में कुछ लोग शॉपिंग करते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन यह खरीददारी रोजमर्रा की तरह ही हो रही है। घुमारवीं बाजार में त्योहारी सीजन को लेकर लोगों में खरीददारी को खास उत्साह नहीं दिख रहा है। इससे दुकानदार भी मायूस दिखाई दे रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि घुमारवीं बाजार में त्योहार वाले दिन ही लोगों की कुछ भीड़ दिखाई देती है। इससे पहले बाजार में लोगों की चहल-पहल गायब है। मंगलवार को घुमारवीं बाजार में दोपहर तक सनाटा पसरा हुआ था। यहां पर ग्राहकों की संख्या न के बराबर थी। दोपहर तक बाजार सुनसान पड़ा था। दुकानदार ग्राहकों के इंतजार में बैठे थे, लेकिन त्योहारी सीजन को खरीददारी के लिए लोगों में उत्साह न होने के कारण मायूस बैठे थे।