कलियुग के रावणों का अंत कब

By: Oct 9th, 2019 12:05 am

 -राजेश कुमार चौहान, जालंधर

कलियुग में रावण के दस से भी ज्यादा सिर विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीति की व्याधियों के रूप में हैं। स्वार्थ, बेईमानी, हेरा-फेरी, अनैतिकता, भ्रष्टाचार, शोषण, नशा, धर्म-जाति पर हिंसा आदि के रूप में ये हमारे समाज में घूम रह हैं, इनका अंत आखिर कब और कौन करेगा? रावण और कंस का अहंकार भी उनके पतन का कारण बना था। रावण जिसके बारे में यह भी कहा जाता है कि उसके समान कोई भी तपस्वी नहीं था, उसने कई सिद्धियां प्राप्त की थी, कई वरदान प्राप्त किए थे। अहंकार के कारण ही अपने आपको अमर कहलाने वाले रावण का अंत प्रभु श्री रामचंद्र के हाथों हो गया था। दशहरे के दिन लोग रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद और अन्य राक्षसों के पुतलों को आग लगाकर खशी मनाते हैं या जलाते हुए बहुत खुश होते हैं। पुतलों के साथ सभी को अपनी बुराइयों को जलाना चाहिए। संकल्प लें कि हम कभी भी किसी बात का अहंकार न करें। सादा जीवन व्यतीत करें और जिओ और जीनो दो की कहावत पर अमल करते हुए अपना जीवन व्यतीत करें। 


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