कहां है नर्वदेश्वर मंदिर, किसी को नहीं खबर

By: Oct 21st, 2019 12:20 am

मंदिर के बाहर संरक्षित स्मारक नाम का बोर्ड भी खा रहा जंग की मार, सूचना पट्ट शहर में न होने से सैकड़ों श्रद्धालु नहीं ले पाते आशीर्वाद

सुजानपुर –विश्व ख्याति प्राप्त कांगड़ा शैली पर आधारित भारतीय पुरातत्त्व विभाग के अधीन आने वाला सुजानपुर का नर्वदेश्वर मंदिर कहां है यह केवल सुजानपुर वालों के सिवाय किसी को पता नहीं है इसका मुख्य कारण मंदिर कहां पर है किसके अधीन हैं जिला से इस मंदिर की दूरी कितने किलोमीटर है तमाम चीजें कहीं भी देखने को नहीं मिलती हैं । आलम यह है कि जिस शहर में यह मंदिर है वहां पर भी ढूंढने से इस मंदिर संबंधी कोई भी दिशानिर्देश हार्डिंग कहीं भी नहीं मिलता है जिसके चलते अकसर बाहर से आने वाले और विशेष रूप से विदेशी जमी से यहां पर इस मंदिर का दीदार करने वाले पर्यटकों को मंदिर ढूंढने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है । अकसर स्थानीय लोगों से पूछ कर ही लोग इस मंदिर तक पहुंच पाते हैं । बताते चलें कि विश्व विख्यात कांगड़ा शैली पर आधारित नर्वदेश्वर मंदिर जहां भोलेनाथ पिंडी रूप में विराजमान है। इस मंदिर का उल्लेख विश्व धरोहरों में शामिल है इसके साथ ही इस मंदिर का उल्लेख बड़ी-बड़ी मैगजीनओं में पढ़ने को मिलता है विशेष रूप से जब भारत के ऐतिहासिक और पुरातत्त्व विभाग के अधीन आने वाले मंदिरों की छानबीन की जाती है तो इस मंदिर का उल्लेख सबसे पहले आता है लेकिन विश्व विख्यात होने के बावजूद सुजानपुर का नर्वदेश्वर मंदिर अपनी पहचान को लगातार खोता हुआ नजर आ रहा है। मंदिर की सुरक्षा और पूजा पाठ की जिम्मेदारी के लिए विभाग ने कर्मचारी नियुक्त कर रखे हैं जो नित्य प्रतिदिन तमाम कार्रवाई करते हैं लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि मंदिर कहां पर है इसकी जानकारी को लेकर कोई भी सूचना पट्ट शहर में नहीं लगा है जबकि मंदिर के बाहर संरक्षित स्मारक नाम का जो बोर्ड लगा है वह भी पूरी तरह जंग खा चुका है जिसके चलते मंदिर की जानकारी और मंदिर क्यों विश्व प्रसिद्ध है किसके अधीन आता है तमाम जानकारी लोगों को नहीं मिल पा रही है। नगर परिषद सुजानपुर के अध्यक्ष अशोक मेहरा से बात की तो उन्होंने बताया कि मंदिर भारतीय पुरातत्त्व विभाग के अधीन आता है इसके लिए क्या करना है यह विभाग ही तय कर सकता है। नगर परिषद अपनी ओर से एक प्रस्ताव डालकर पुरातत्व विभाग को भेजेगा की मंदिर की जानकारी और कौन से जिला से इस मंदिर की कितनी दूरी है इस संबंधी सूचना पूरे प्रदेश में लगाई जाए वर्तमान में नगर परिषद ने करीब दस लाख रुपए खर्च करके मंदिर तक जाने वाले रास्ते को पक्का और टाइल युक्त बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर चला रखा है तीन चरण का काम पूरा है चौथे चरण का कार्य भी शीघ्र शुरू होगा।


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