कहानी : बदल गया जांबाज

By: Oct 9th, 2019 12:15 am

एक था घोड़ा। बहुत बलशाली हवा से भी तेज दौड़ता। उसे अपनी चाल पर बहुत घमंड था। उसने अपना नाम जाबांज रख लिया था। उसका दावा था कि दुनिया में कोई भी उससे तेज नहीं दौड़ सकता। उसकी जंगल में जिस भी किसी जानवर से मुलाकात होती उससे दौड़ने की शर्त लगा देता। जीतने के बाद वह सभी का जम कर मजाक उड़ाता। भीमा हाथी, भोलू, डिंकी हिरण, चीनू लकड़बग्घे आदि सब को भी वह हरा चुका था। इससे उसका घमंड काफी बढ़ गया था। बड़े बुजुर्गों ने उसे काफी समझाया कि इस तरह किसी का मजाक उड़ाना अच्छी बात नहीं है। मगर जांबाज पर किसी के समझाने का कोई असर नहीं होता। धीरे-धीरे सभी ने उससे शर्त लगानी बंद कर दी।  मगर जांबाज दिनभर जंगल में अकड़ते हुए घूमता रहता। एक दिन उस जंगल में दीनू ऊंट किसी काम से आया। जांबाज ने उसे देखा तो बोला तुम्हारी टांगें तो काफी लंबी हैं। तुम चलते भी बहुत तेज हो आओ मेरे साथ दौड़ने की शर्त लगा लो। भाई मैं किसी जरूरी काम से आया हूं। मेरे पास दौड़ने की फुर्सत नहीं है। बहाने मत बनाओ या तो मेरे साथ दौड़ लगाओ या अपनी हार स्वीकार करो, जांबाज ने कहा। फिर दीनू ने कहा मैं तुम्हारे साथ दौड़ लगाने को तैयार हूं, पर मेरी तीन शर्तें हैं। जांबाज बोला ठीक है बता क्या है तेरी शर्तें? पहली इस दौड़ को जंगल के सभी जानवर देखेंगे। दूसरी दौड़ जंगल के बीच नहीं, बल्की आखिर से शुरू होगी। और तीसरी यह कि जब तक हम से कोई एक अपनी हार नहीं मान लेता दौड़ चलती रहेगी। जांबाज बोला ठीक है। दौड़ शुरू हो गई सीटी बजी दीनू के पैर बहुत लंबे थे इसलिए वह बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा था। जांबाज भी अपनी पूरी शक्ति लगा रहा था। जंगल का पूरा इलाका खत्म हो गया आगे रेगिस्तान था तो वहां पर जांबाज के पैर धंसने लगे। उसकी चाल धीमी पड़ गई। जांबाज ने सोचा रेत थोड़ी दूर तक ही होगी, लेकिन वह बढ़ती ही जा रही थी। जांबाज का गला भी सूख रहा था और वह थक भी गया। उधर, दीनू लंबे-लंबे डग भरते हुए चला आ रहा था। उसे तो रेत में चलने की आदत थी। जांबाज कभी किसी से नहीं हारा था, पर इस पर उसे धूप और प्यास के कारण हारना पड़ा और रेत में नीचे गिर गया। दीनू जांबाज के पास पहुंचा और कहा, भाई उठो पास में लेखलिस्तान है वहां पानी मिल जाएगा। जांबाज ने पूछा लेखलिस्तान क्या होता है दीनू ने कहा रेगिस्तान के बीच में हरियाली होती है,  वहां पानी का स्रोत भी होता है। मैं तुम्हें जल्दी ही वहां पहुंचा दूंगा, दीनू ने कहा। तुम मेरी मदद करोगे, जांबाज ने आश्चर्य से पूछा। मैं ही क्यों सभी को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। दीनू ने जांबाज को उठाने का इशारा करते हुए कहा। और जांबाज को लेखलिस्तान पहुंचा दिया वहां छोटा सा तालाब भी था, जहां जांबाज ने जी भर कर पानी पिया और थोड़ा आराम किया। थोड़ी देर के बार दीनू ने कहा क्यों जांबाज दौड़ नहीं लगानी है। जांबाज ने कहा नहीं भाई मैं अपनी हार स्वीकार करता हूं। अपनी हार पर वह शर्म से गड़ा जा रहा था।  दीनू ने कहा जांबाज भाई परेशान मत हो तुम वास्तव में बहुत तेज दौड़ते हो तुम्हें कोई नहीं हरा सकता। जांबाज ने कहा, दीनू भाई यह तुम कह रहे हो। हां भाई प्रकृति ने सभी को अलग- अलग गुण दिए हैं कोई हवा में उड़ सकता है तो कोई पानी में तैर सकता है कोई पेड़ों से छालांग लगा सकता है। मैं रेत के बीच बिना रुके कई दिनों तक चल सकता हूं तभी मैं जानबूझ कर तुम्हें यहां लेकर आया कि तुम्हें वास्तविकता का एहसास हो सके। जांबाज ने दीनू से माफी मांगी और वादा किया कि मैंने जिस-जिस का मजाक उड़ाया है, उन सब से भी माफी मागूंगा।


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