कितने छात्र, दो दिन में भेजना होगा ब्यौरा

By: Oct 7th, 2019 12:02 am

 शिमला -विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के ऑनलाइन पोर्टल पर वर्ष 2019 – 20 का ब्यौरा शिक्षण संस्थानों को भेजना होगा। इस ब्यौरे में कालेज व विवि में इस साल कितने नए छात्रों का दाखिला हुआ, शिक्षकों की कितनी नई भर्तियां की गई, इस बाबत पूरी जानकारी देनी होगी। यूजीसी ने शिक्षण संस्थानों को इसके लिए दो दिन का समय दिया है। यूजीसी ने साफ किया है कि शिक्षण संस्थान को सख्ती से यह रिपोर्ट शिक्षण संस्थानों को देनी होगी। ऐसा न करने वाले शिक्षण संस्थानों से यूजीसी की ओर से नोटिस भी जारी किए जा सकते हैं। बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अंतर्गत आने वाले सभी शिक्षण संस्थानों को नियमों के अनुसार ही छात्रों को दाखिला देना होगा। वहीं शिक्षक  व अन्य स्टाफ की भर्तियां भी यूजीसी की नई गाइडलाइन के तहत ही होंगी। यही वजह है कि यूजीसी ने सभी शिक्षण संस्थानों को ऑनलाइन पोर्टल पर पूरा डाटा अपडेट करने के आदेश शिक्षण संस्थानों को दिए हैं। दरअसल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अब सख्त हो गया है। आयोग ने सख्त रूप से कहा है कि अब नियमों की अवहेलना करने वाले शिक्षण संस्थानों को बजट की सुविधा भी नहीं दी जाएगी। यानी कि नियम अवहेलना करने पर शिक्षण संस्थान के बजट पर रोक भी लग सकती है। गौर हो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी शिक्षण संस्थानों को ये भी आदेश जारी किए हैं कि वह रिपोर्ट में उन सिलेबस का रिकोर्ड भी भेजें, जो यूजीसी से मान्य प्राप्त हो। बता दें कि यूजीसी ने इससे पहले भी शिक्षण संस्थानों से शिक्षकों के खाली पड़े पदों का ब्यौरा मांगा था। यूजीसी ने तय किया था कि शिक्षण संस्थानों को छात्रों की संख्या के आधार पर रिकार्ड ऑनलाइन भेजना होगा। बावजूद इसके प्रदेश के कई कालेजों से यूजीसी को इस बारे में जानकारी नहीं भेजी है। यही वजह है कि अब हिमाचल के कई शिक्षण संस्थानों को फटकार भी इस बाबत लग सकती है। सूत्रों की मानें, तो कई शिक्षण संस्थान ऐसे भी हो सकते हैं, जिन्हें अनुदान आयोग नोटिस भी जारी कर सकता है। फिलहाल यूजीसी का यह सख्त फैसला निजी शिक्षण संस्थानों के लिए हैं।

रिजल्ट भी अपडेट

यूजीसी की नई गाइडलाइन के तहत कालेज से लेकर विश्वविद्यालय को छात्रों के रिजल्ट की रिपोर्ट भी अब हर साल ऑनलाइन पोर्टल पर भेजनी होगी। इससे अब यूजीसी हर साल रिजल्ट का आकलन भी हर साल सेशन खत्म होने पर करेगी। वहीं कम रिजल्ट आने पर कालेज के बजट में कटौती की जाएगी।

 

 


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