किसानों को दिवाली गिफ्ट

By: Oct 24th, 2019 12:03 am

मोदी सरकार ने 85 रुपए बढ़ाया गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य

नई दिल्ली – केंद्र सरकार ने बुधवार को किसानों को दिवाली का गिफ्ट देते हुए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 85 रुपए बढ़ाकर 1925 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया। वहीं दलहनों के एमएसपी में 325 रुपए प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह निर्णय किया गया। एमएसपी वह दर है, जिस मूल्य पर सरकार किसानों को समर्थन मूल्य देते हुए उनसे अनाज खरीदती है। बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि किसानों की आय बढ़ाने की पहल के तहत मंत्रिमंडल ने चालू वर्ष के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया है। सीसीईए ने 2019-20 के लिए गेहूं का एमएसपी 85 रुपए क्विंटल बढ़ाकर 1925 रुपए प्रति क्विंटल किया है। पिछले साल यह 1840 रुपए प्रति क्विंटल था। चालू फसल वर्ष के लिए जौ का एमएसपी भी 85 रुपए बढ़ाकर 1525 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है जो कि पिछले साल 1440 रुपए प्रति क्विंटल था। दाल की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए मसूर का एमएसपी 325 रुपए बढ़ाकर 4800 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया, जो पिछले साल 4475 रुपए प्रति क्विंटल पर था। रबी फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में की गई सिफारिशों के अनुरूप है। रबी मौसम की फसलों में गेहूं, चना, सरसों मुख्य फसल होती है। इनका विपणन अप्रैल के बाद होता है। चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 255 रुपए बढ़ाकर 4875 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। इससे पिछले साल यह 4620 रुपए प्रति क्विंटल था। तिलहन के मामले में रेपसीड सरसों का एमएसपी 2019-20 के लिए 225 रुपए बढ़ाकर 4,425 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। फसल वर्ष 2018-19 में यह 4200 रुपए प्रति क्विंटल था। सॉफ्लावर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 270 रुपए बढ़ाकर 5215 रुपए क्विंटल किया गया है।

नियमित होंगी दिल्ली की अवैध कालोनियां

नई दिल्ली – केंद्र सरकार ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग में दिल्ली की अवैध कालोनियों को नियमित करने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। इससे यहां रह रहे 40 लाख लोगों को ऑनरशिप का अधिकार मिल जाएगा। इन कालोनियों में रह रहे लोग लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। केंद्र सरकार के इस फैसले को दिल्ली के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि झुग्गीवासी जहां भी रहते हैं, वह चाहे निजी हो या सरकारी भूमि, उसका मालिकाना हक उन्हें देने का फैसला किया गया है। 1947 में दिल्ली की जनसंख्या आठ लाख थी। बंटवारे के बाद यहां बड़ी संख्या में रिफ्यूजी आए।


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