खांसी और फेफड़ों के कैंसर में अंतर

By: Oct 19th, 2019 12:15 am

पर्यावरण में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण स्तर से फेफड़े हमारे शरीर का सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला अंग है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि डाक्टरों के क्लीनिक में खांसी की शिकायत लेकर आने वाले लोगों की संख्या ज्यादा होती है। एलर्जी, अस्थमा, सीने में संक्रमण, निमोनिया खांसी के पीछे सबसे आम कारण होता है। कुछ मामलों में हम खांसी को फेफड़ों के कैंसर के रूप में भी देखते हैं। जिन लोगों की उम्र 40 या उससे ज्यादा है और वे 15 साल या उससे अधिक समय से धूम्रपान कर रहे हैं, उन लोगों को फेफड़ों के कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है। वायु प्रदूषण सबसे बड़ा कारक- हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता क्योंकि धूम्रपान नहीं करने वाले और कम उम्र के युवा भी फेफड़े के कैंसर का शिकार हो रहे हैं। धूम्रपान और मोटापे जैसे अन्य जोखिम कारकों की तुलना में यह लोगों को अधिक प्रभावित करता है। फेफड़ों के कैंसर के अन्य संकेत- खांसी, जो कम होने का नाम नहीं ले रही। थोड़ा सा काम करने या मेहनत करने के बाद सांस लेने में तकलीफ । थूक में खून आना। वजन कम होना और छाती और कंधों में दर्द। फेफड़ों के कैंसर का शुरुआती चरण में उपचार किया जा सकता है, लेकिन एडवांस स्टेज में पहुंचने के बाद इसका उपचार नहीं किया जा सकता। शुरुआत में सीने का एक्स-रे बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। कैंसर की स्टेज से आपको पता चलता है कि यह कितना बड़ा है और कहां तक फैल गया है। स्टेज को पहचान कर यह तय करने में मदद मिल सकती है कि रोगी को किस उपचार की आवश्यकता है।


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