गगरेट अस्पताल में नहीं मिल रहीं फ्री दवाइयां

मरीजों को करना पड़ रहा दिक्कतों का सामना, नियमाें की उड़ा रहे धज्जियां

दौलतपुर चौक –गगरेट विस क्षेत्र के एक सरकारी अस्पताल में ऐसा मामला प्रकाश में आया है जो सरकारी योजनाओं की सरेआम धज्जियां उड़ाए जाने के लिए पर्याप्त है। उक्त मामला उजागर होने से प्रशासन के दावे खोखले नजर आ रहे है। जहां एक ओर तो प्रदेश सरकार हिमकेयर कार्ड तो दूसरी ओर कंेद्र सरकार आयुष्मान योजना के तहत गरीबों को मुफ्त इलाज के लाखों रुपए खर्च कर रही है, परंतु धरातल पर सच्चाई कुछ ओर ही है। इससे प्रदेश सरकार की साख को भी बट्टा लग रहा है। 21 वर्षीय प्रदीप कुमार मंगलवार को प्रदेश सरकार के शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1100  पर शिकायत की है कि गत सप्ताह उन्हें पीलिया की शिकायत हुई और उन्हें परिजनों द्वारा क्षेत्र के एक सरकारी अस्पताल में एडमिट कराया गया। जहां उन्हें पांच दिन तक रखा गया और उनका दवाई का बिल लगभग 6200 रुपए उन्हें जेब से भुगतान करना पड़ा। उन्होंने बताया कि हिम केअर कार्ड होने के बावजूद उन्हें निःशुल्क दवाई नहीं मिली। वहीं, दूसरा मामला इसी अस्पताल से जुड़ा है जो बीपीएल परिवार से संबंधित नेत्र पाल का है। जोकि हिमकेयर कार्ड धारक है और वो भी उक्त अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे और उन्हें भी एडमिट करने के बाद उन्हें भी चार दिन में लगभग 5200 रुपए की दवाएं लिखी गई, परंतु अस्पताल प्रशासन की तरफ से उन्हें निःशुल्क दवाइयां उपलब्ध नहीं करवाई गई और उन्हें मजबूरन लोगों से पैसा उधार लेकर बिल चुकाना पड़ा। प्रदीप कुमार ने बताया कि उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है की या तो हिम केयर कार्ड की फीस उन्हें वापस दी जाए या फिर उनको उनको दवाइयों पर खर्च किए गए 6200 रुपए वापस किए जाए। इसके अलावा गरीबों के साथ भद्दा मजाक करने वाले आरोपी स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाए। उधर, स्थानीय लोगों ने बताया कि उक्त अस्पताल में हमेशा रोगियों को महंगे टेस्ट बाहर की लैब्स में करवाने के लिए मजबूर किया जाता है और अस्पताल के अंदर दवाइयां उपलब्ध होने के बावजूद बाहर से महंगी दवाइयां लिखी जाती हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि जनहित को ध्यान में रखते हुए उचित कार्रवाई अमल में लाई जाए, ताकि आमजनमानस राहत की सांस ले सके। उधर सीएमओ ऊना डा. रमन कुमार ने बताया कि उक्त मामला मीडिया के माध्यम से उनके ध्यान में आया है। हिम केअर कार्ड धारक को अस्पताल के अंदर से दिए जाने का प्रावधान है। उक्त मामले की शीघ्र जांच की जाएगी और लापरवाही करने वालों  के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।