चक्कर मोनोग्राफ का

By: Oct 25th, 2019 12:05 am

पूरन सरमा

स्वतंत्र लेखक

साहित्य जगत में मेरी पहचान थी और इसीलिए उसे मेरे मोनोग्राफ  की प्रतीक्षा थी, लेकिन अकादमी मेरा मोनोग्राफ  छापने में कोई रुचि नहीं ले रही थी। मैं लगातार इसी जुगाड़ में था कि कैसे भी करके मेरा मोनोग्राफ आ जाए। मेरे कई समकालीन लोगों के आ चुके थे, सो स्वाभाविक था कि मेरी भी त्वरता बढ़ गई थी। मैंने संचालिका के सदस्यों से इस संबंध में चर्चा की तो वे सैद्धांतिक रूप से तो मेरी बात से सहमत हो गए, लेकिन व्यावहारिक रूप से वे मोनोग्राफ  के मामले में असमर्थ से हो गए। उनका कहना था कि मेरी मोनोग्राफ  की मांग एकदम ‘जेनुइन’ है, लेकिन मैं इतना अधिक लिख पढ़ रहा हूं कि जिससे साहित्यकार के रूप में मेरी मान्यता असली साहित्कार के रूप में नहीं बन पा रही। ज्यादा लिखना व्यावसायिकता है और व्यावसायिक लेखक का मोनोग्राफ  नहीं छपता। लिखने की एक सीमा होती है, लिख लिया कभी-कभार, लेकिन यह नियमित लिखना मेरा ‘ड्रा बैक’ है। अकादमी इस बात से सहमत नहीं है कि उसके बिना ही कोई लेखक अपनी पहचान बनाए। अकादमी गुपनामी के अंधेरे में खोए साहित्यकार का मोनोग्राफ  छापती है अथवा उनका मोनोग्राफ छपता है-जो तीस-चालीस साल पहले लेखन करते थे और अब सत्तर-अस्सी साल के हो गए हैं, लेकिन लिखते नहीं हैं। मेरा ज्यादा लिखना और आंख में मोतियां बिंद न होना ही मोनोग्राफ न छपने का मुख्य कारण है। मैं संचालिका के सदस्यों के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और मोनोग्राफ  छपवाने के जुगाड़ में चक्कर-पे-चक्कर चलाता रहा। एक साहित्यिक समारोह में एक दिन अकादमी अध्यक्ष जी से सामना हो गया। मैंने विनम्रता से अभिवादन किया तो वे हंसे और कंधे पर हाथ रखकर चलते हुए ही बोले-‘अरे भाई खूब लिख रहे हो। अच्छा लिख रहे हो। हिन्दी साहित्य को तुमसे आषायें बंधने लगी हैं।’ फिर उन्होंने पान की पीक को एक ओर थूंका और कहा-‘अरे हां, तुम्हारे मोनोग्राफ  की चर्चा आई थी, लेकिन इस साल के तो फाइनल हो गए। वह क्या था, देखो साहित्यकार रेवड़मल जी लंबे समय से बीमार हैं और मगन लाल जी की भी तबीयत ठीक नहीं रहती। आपकी तो अभी उम्र पड़ी है अभी और लिखो तथा उम्दा लिखो।’ मैं अत्यंत दयनीय भाव से बोला-‘जी, उम्दा लिखने का प्रयास कर रहा हूं, लेकिन यह मोनोग्राफ  आ जाता तो मैं ज्यादा उम्दा लिख सकता था। थोड़ा उत्साहवर्द्धन हो जाता तो चार चांद लग जाते। मैं मोनोग्राफ  के बिना काफी परेशान-सा हूं।’                                                                                                                                                                                                                          


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