चाय बागान बेचने पर डीसी कांगड़ा से रिपोर्ट तलब

By: Oct 11th, 2019 12:30 am

सीलिंग से छूट के दौरान कितने मालिकों ने बेची जमीन, देनी होगी जानकारी

शिमला – हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में चाय बागानों पर लगे सीलिंग एक्ट के बीच सरकार से मिली अनुमति के बाद कितने लोगों ने चाय बागान किस्म की जमीनें बेची हैं, इसकी रिपोर्ट तलब कर ली गई है। प्रदेश सरकार ने जिलाधीश कांगड़ा से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें पूछा गया है कि सीलिंग एक्ट में छूट मिलने के दौरान कितनों ने जमीन को बेच डाला। बताया जाता है कि सरकार द्वारा लैंड सीलिंग एक्ट, जोकि वर्ष 1971 में लागू हुआ था, के तहत छूट दी थी। वर्ष 2000 के बाद ऐसी छूट दी गई थी, जिसमें लोगों ने चाय बागान किस्म की जमीन को बेच दिया। वर्ष 2010 के बाद यहां पर पूरी तरह से ऐसी अनुमतियां देनी सरकार ने बंद कर दीं और इस पर एक्ट लागू है, लिहाजा जमीन को नहीं बेचा जा सकता। राजस्व विभाग ने पालमपुर के चचियां में सेना की छावनी के लिए मांगी गई जमीन के मामले में डीसी से रिपोर्ट देने को कहा है। माना जा रहा है कि सरकार फिलहाल सेना को जमीन देने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि लोगों के मुआवजे से जुड़ा एक पहलू है, वहीं एक्ट में भी ऐसे प्रावधान नहीं हैं। यदि सेना जबरन इसका अधिग्रहण करती है, तो ही ऐसा हो सकता है, क्योंकि सामरिक दृष्टि से सेना जमीन का अधिग्रहण अपने स्तर पर कर सकती है। फिलहाल यहां से सेना के प्रस्ताव पर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है और कानून विभाग से राय के बाद इसे अभी कैबिनेट को भी नहीं भेजा गया है। सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट के पास मामला तभी जाएगा, जब डीसी कांगड़ा बेची गई जमीन को लेकर अपनी रिपोर्ट देंगे। तभी इस पर आगे कोई निर्णय लिया जा सकता है। यहां बड़ी संख्या में लोग चाहते हैं कि उनको चाय बागान बेचने की इजाजत दे दी जाए, जोकि पहले भी दी जाती रही है। इसके लिए सरकार को विधानसभा में एक्ट में संशोधन करना होगा। संशोधन होता है तो यह राजनीतिक मुद्दा बन सकता है, जो पहले भी बनता आया है।  सरकार इस तरह का जोखिम नहीं उठाएगी। ऐसे में चचियां में सेना छावनी का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में है, लेकिन रक्षा मंत्रालय अपने स्तर पर जरूरत के हिसाब से चाहे तो जमीन का अधिग्रहण कर सकती है। बता दें कि चाय बागान में एक तरह से सरकार मालिक है, लेकिन उसने हक लोगों को दे रखे हैं। इसलिए जमीन के अधिग्रहण पर मुआवजे का पेंच फंसा हुआ है। मामले पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी चर्चा हो चुकी है।


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