छह लाख बच्चों की एनरोलमेंट अटकी

By: Oct 20th, 2019 12:02 am

चंडीगढ़ – प्रदेशभर में चल रहे 3200 अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को प्रदेश सरकार से वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2019-20 में कोई राहत नहीं दी है। यह खुलासा मौलिक शिक्षा निदेशालय द्वारा आरटीआई से मांगी गई जानकारी के जवाब में स्पष्ट हो गया है। वहीं, स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि सरकार द्वारा 3200 अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को सरकार द्वारा भविष्य में स्कूल संचालन की अनुमति नहीं दिए जाने से नौंवी से बारहवीं तक करीबन साढ़े छह लाख बच्चों एनरोलमेंट भी अटक गया है। ये लापरवाही सरकार एवं शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों की है, क्योंकि समय रहते इन निजी स्कूलों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया और ना ही इन स्कूलों में पढऩे वाले लाखों बच्चों का एनरोलमेंट किसी दूसरे नजदीकी स्कूलों से कराया गया। अब इन बच्चों का भविष्य और अभिभावक भी ऐसे स्कूलों की लूट पर आक्रोश से भरे हैं। जबकि उनका संगठन शुरूआत से ही इन बच्चों के भविष्य को सुनिश्चित करने की मांग उठाता रहा है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भी अस्थायी स्कूलों के संबंध में एनरोलमेंट की तिथि पर तिथि बढ़ाकर भ्रमित कर रहा है। जब तक शिक्षा निदेशालय से ही बोर्ड के पास स्कूलों की सूची नहीं भेजी जाएगी, तब तक बोर्ड द्वारा एनरोलमेंट कैसे जारी होगा। दरअसल स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने मौलिक शिक्षा निदेशालय से प्रदेशभर में चल रहे 3200 निजी स्कूलों को एक साल की राहत प्रदान किए जाने के संबंध में आदेशों और नियमों से संबंधित जानकारी आरटीआई के जरिए 19 सितंबर को मांगी गई थी। इस पर मौलिक शिक्षा निदेशालय की तरफ से संगठन के समक्ष आरटीआई का जवाब भेजा गया। जिसमें यह स्पष्ट किया कि मौलिक शिक्षा निदेशालय के समक्ष इस तरह के कोई आदेश नहीं है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर द्वारा भी इस तरह के कोई आदेश नहीं दिए गए हैं। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में मामला 2017 से मामला चल रहा है।

सरकार ही लेगी अंतिम फैसला

निदेशालय ने आरटीआई के जवाब में इस तरह की राहत देने संबंधी निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे बच्चों के इनरोलमेंट को लेकर याचिका लगाई थी। इस पर हाई कोर्ट ने भी 16 अक्तूबर को अपना रुख स्पष्ट करते हुए निजी स्कूलों को झटका देते हुए इस मामले में सरकार द्वारा निर्णय लेने की बात कही। कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया कि निजी स्कूलों के संबंध में सरकार दो सप्ताह के अंदर फैसला ले, अगर वे हरियाणा शिक्षा नियमावली 2003 के नियम पूरे करते हैं तो उन्हें मान्यता देने संबंधी कदम उठाए। ऐसे में अब कोर्ट से भी निजी स्कूलों को कोई राहत नहीं मिली है।


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