छात्रवृत्ति घोटाला 2772 संस्थानों में, जांच सिर्फ 22 की ही क्यों?

By: Oct 19th, 2019 12:08 am

हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए हिमाचल सरकार व सीबीआई से मांगा जवाब

शिमला – सीबीआई द्वारा हिमाचल में 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सिर्फ  22 शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित किए जाने पर प्रदेश हाई कोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। जनहित में दायर याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में कुल 2772 शैक्षणिक संस्थान हैं, लेकिन हिमाचल सरकार ने सिर्फ  22 शैक्षणिक संस्थानों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है। मुख्य न्यायाधीश एल नायायण स्वामी और न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित सीबीआई को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। सीबीआई की ओर से अदालत से गुहार लगाई गई कि चूंकि वह मामले कि जांच कर रही है तो इस स्थिति में सीबीआई को सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने की अनुमति दी जाए, ताकि उनके द्वारा की गई जांच सार्वजनिक न हो। अदालत ने सीबीआई की इस गुहार को स्वीकार किया और सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए। याचिका में राज्य के मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक और सीबीआई को प्रतिवादी बनाया गया है। मामले की आगामी सुनवाई 14 नवंबर को निर्धारित की गई है। जनहित में दायर याचिका में प्रार्थी ने छात्रवृत्ति घोटाले बारे मीडिया में छपी खबरों को भी संलगन किया है। प्रकाशित खबरों के अनुसार प्रारंभिक जांच में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी को छानबीन में पता चला है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों व निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए बाकायदा एक रैकेट चल रहा था। इसके लिए अधिकारी निजी शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति जारी करने के लिए दस फीसदी तक कमीशन लेते थे। याचिका में संलगन खबरों के अनुसार जांच में पता चला है कि कमीशन का यह खेल होटलों में चलता था। यहां पर स्कॉलरशिप जारी कराने की एवज में निजी संस्थान विभाग के अधिकारियों को कमीशन का पैसा देते थे। सीबीआई अब यह पता लगा रही है कि इस खेल में कितने लोग शामिल थे और कमीशन कितने लोगों में बंटता था। इस बात की तसदीक निजी शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों से पूछताछ में भी हो चुकी है। इसके बाद ही शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा सीबीआई के राडार पर आए। सीबीआई की जांच में यह भी पता चला है कि स्कॉलरशिप की स्वीकृति से संबंधित फाइलों को शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचने नहीं दिया जाता था। निचले स्तर के अधिकारी व कर्मचारी फाइलों को अपने स्तर पर ही मार्क कर देते थे। जांच में यह भी पता चला है कि नियमों के विपरीत निजी ई-मेल आईडी से छात्रवृत्ति के काम को अंजाम दिया जाता था।

शिक्षा विभाग के अधिकारी लेते थे कमीशन

सीबीआइर् को पता चला है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों व निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए बाकायदा एक रैकेट चल रहा था। इसके लिए अधिकारी निजी शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति जारी करने के लिए दस फीसदी तक कमीशन लेते थे। कमीशन का यह खेल होटलों में चलता था। सीबीआई अब यह पता लगा रही है कि इस खेल में कितने लोग शामिल थे और कमीशन कितने लोगों में बंटता था।


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