टेरर फंडिंग पर पाक को आखिरी मौका

By: Oct 19th, 2019 12:07 am

आतंकी संगठनों के खिलाफ  कार्रवाई के लिए मिली चार महीनेकी मोहलत

पेरिस – आतंकियों का हमदर्द पाकिस्तान टेरर फंडिंग को लेकर फिलहाल ब्लैकलिस्ट होने से बच गया है। उसे आगे कुछ और महीनों की मोहलत मिल गई है। शुक्रवार को फायनांशियल ऐक्शन टास्ट फोर्स एफएटीएफ ने पाकिस्तान को सख्त निर्देश दिया कि फरवरी 2020 तक वह आतंकवाद के खिलाफ पूरा ऐक्शन प्लान तैयार कर उस पर आगे बढ़े। अगर निर्धारित वक्त में पाकिस्तान ऐसा करने में असफल रहता है तो उसे सख्त कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए। पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के वित्तीय लेन-देन और बिजनस पर भी सदस्य देशों को नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। चीन, मलेशिया और तुर्की के समर्थन के कारण फिलहाल पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट होने से बच गया, लेकिन अब ग्रे लिस्ट से निकलना नामुमकिन जैसा हो गया है। सूत्रों का कहना है कि एफएटीएफ  ने भले ही अभी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा है, लेकिन आतंक के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठाने के कारण आने वाले कुछ सालों में उसके लिए इस लिस्ट से बाहर निकलना नामुमकिन है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय संस्था ने ऐसे संकेत भी दे दिए हैं कि पाक को 2020 फरवरी में ब्लैकलिस्ट किए जाने की पूरी आशंका है। सूत्रों का यह भी कहना है कि इस फैसले को सार्वजनिक कर एफएटीएफ ने खास संदेश दिया है। अंतरराष्ट्रीय वैश्विक संस्थाओं को एफएटीएफ ने पाकिस्तान को फरवरी 2020 से और सहायता नहीं देने के लिए तैयार रहने का संकेत भी दे दिया है। गौर हो कि एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था और 27 प्वाइंट का ऐक्शन प्लान देते हुए एक साल का समय दिया था। इसमें मनी लांड्रिंग और आतंकी संगठनों की टेरर फायनांसिंग रोकने के उपाय करने थे। आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग रोकने में नाकाम और आतंकियों व उनके संगठनों के खिलाफ ठोस कदम न उठाने को लेकर यह सुधरने की अंतिम चेतावनी की तरह है।

चीन, तुर्की, मलेशिया ने फिलहाल बचाया

एफएटीएफ की बैठक में चीन, तुर्की और मलेशिया ने पाकिस्तान का पूरा साथ दिया और आतंकवाद के खिलाफ  पाकिस्तान की कार्रवाई को सराहा था। इन तीनों देशों के समर्थन के बाद एफएटीएफ  ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में शामिल नहीं करने और बाकी उपायों को लागू करने के लिए ज्यादा समय देने का फैसला किया। एफएटीएफ  ने पाक को लगातार ग्रे लिस्ट में रखा है। इस कैटेगरी के देश को कर्ज देने में बड़ा जोखिम समझा जाता है।

ब्लैकलिस्ट होता, तो और पस्त होती हालत

अगर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जाता तो उसके लिए कर्ज हासिल करना मुश्किल हो जाता। इस सूची में नाम आने के बाद पाकिस्तान में विदेशी निवेश के रास्ते भी बंद हो जाते। ब्लैकलिस्ट होने के बाद वैश्विक वित्तीय संस्थाएं पाक की रेटिंग कम कर सकती थीं। पाकिस्तान के लिए विश्व बैंक और आईएमएफ से पैसा लेना मुश्किल हो जाता। बदहाली से उबरने के लिए चीन, सऊदी जैसे देशों से भी फंड मिलने में मुश्किल हो सकती थी।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App