ड्ढकुंडलिनी साधनाएं : कुंडलिनी क्या है

By: Oct 5th, 2019 12:20 am

शिव उवाच

सम्यगनुष्ठितों मंत्रो यदि सिद्धो न जायते।

पुनस्तेनैव कर्त्तव्यं ततः सिद्धो भवेदध्रुवम।। 2।।

महादेव जी ने कहा, यदि भली-भांति विधानपूर्वक अनुष्ठान करने पर मंत्र सिद्ध न हो तो फिर उसी मंत्र का विधान से अनुष्ठान करे।। 2।।

पुनरनुष्ठितो मंत्रो यदि सिद्धो न जायते।

पुनस्तेनैव कर्त्तव्यं ततः सिद्धो न संशय।। 3।।

जो दूसरी बार अनुष्ठान करने पर भी मंत्र सिद्ध न हो तो तीसरी बार अनुष्ठान करे तो निश्चय सिद्ध होगा…

-गतांक से आगे…

मंत्र सिद्ध न होने पर सात उपाय

(रावण-शिव संवाद)

सम्यगनुष्ठितों मंत्रो यदि सिद्धो न जायते।

किं कुर्याच्च ततो देव ब्रूहि में परमेश्वर।। 1।।

रावण बोला, हे देव, हे परमेश्वर, यदि सम्यक प्रकार के अनुष्ठान करने पर मंत्र सिद्ध न हो, तब क्या करना चाहिए, सो आप कहिए।। 1 ।।

शिव उवाच

सम्यगनुष्ठितों मंत्रो यदि सिद्धो न जायते।

पुनस्तेनैव कर्त्तव्यं ततः सिद्धो भवेदध्रुवम।। 2।।

महादेव जी ने कहा, यदि भली-भांति विधानपूर्वक अनुष्ठान करने पर मंत्र सिद्ध न हो तो फिर उसी मंत्र का विधान से अनुष्ठान करे।। 2।।

पुनरनुष्ठितो मंत्रो यदि सिद्धो न जायते।

पुनस्तेनैव कर्त्तव्यं ततः सिद्धो न संशय।। 3।।

जो दूसरी बार अनुष्ठान करने पर भी मंत्र सिद्ध न हो तो तीसरी बार अनुष्ठान करे तो निश्चय सिद्ध होगा।

पुनः सोअनुष्ठितो मंत्रो यदि सिद्धी न  जायते।

उपायास्तत्र कर्त्तव्याः स्पत रावण प्रेमत।। 4।।

हे रावण, यदि तीसरी बार के अनुष्ठान करने पर भी मंत्र सिद्ध न हो तो सात उपाय ध्यान लगाकर करें।

भ्रामणं रोधनं वश्यं पीडनं शोषपोषणे।

दाहानान्तं क्रमात्कुर्यात्ततः सिद्धो भवेन्मनुः।। 5।।

  1. भ्रामण, 2. रोधन, 3. वशीकरण, 4. पीड़न, 5 शोषण, 6. पोषण और 7. दाहन, इस सातों उपायों के करने से निश्चय सिद्धि प्राप्त होती है।। 5।।

भ्रामणं वायुबीजेन ग्रथनं क्रमयोगतः।

यंत्रे त्वालिख्य तन्मंत्रं शिल्हकर्पूरकुडकुमैः।। 6।।

उशीरचंदनाभ्यां तु मंत्र संग्रथितं लिखेत।

क्षीराज्यमधुतोयानां मध्ये तल्लिखितं भवेत।। 7।।

पूजनाज्जापानाद्धोमाद्भ्रमितः सिद्धिदो भवेत।। 8।।

बायुबीज (व) से मंत्र के सब वर्णों को अर्थात पहले व पीछे मंत्र का 1 वर्ण फिर व पीछे मंत्र का दूसरा वर्ण, इस रीति से यंत्र में सब मंत्र के वर्ण शिलारस, कपूर, केसर, खस और चंदन से लिखें। फिर इस लिखे मंत्र को दूध, घी, शहद और जल में डाल दें। पीछे, पूजा, जप और हवन करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। इसको मंत्र का भ्रामण कहते हैं।। 6-8।।   


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