तापमान कम होने की वजह से सिकुड़ते हैं ग्लेशियर

By: Oct 9th, 2019 12:14 am

हिमालयी क्षेत्र के लगातार सिकुड़ते जा रहे ग्लेशियरों की वजह से जहां एक ओर मैदानी क्षेत्रों में पहाड़ों की अपेक्षा तापमान कम होता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पहाड़ों में बर्फबारी कम होने से नदियों के जल स्तर में भी गिरावट आ रही है…

गतांक से आगे …         

सिकुड़ते हिमालयी ग्लेशियर:

हिमालयी क्षेत्र के लगातार सिकुड़ते जा रहे हैं ग्लेशियरों के सिकुड़ने की वजह से जहां एक ओर मैदानी क्षेत्रों में पहाड़ों की अपेक्षा तापमान कम होता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पहाड़ों में बर्फबारी कम होने से नदियों के जल स्तर में भी गिरावट आ रही है। ग्लेशियरों के सिकुड़ने की घटना को वैज्ञानिकों ने गंभीरता से लिया है। प्रदेश की विज्ञान एवं तकनीकी परिषद ने पहले ही राज्य के ग्लेशियरों को लेकर व्यापक अध्ययन किया है। परिषद के अध्ययनों से साफ प्रतीत होता है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियरों  सिकुड़ने के साथ- साथ मौसम का मिजाज भी बदल रहा है। प्रदेश में आमतौर पर दिसंबर महीने में बर्फबारी होती थीं, मगर अब बर्फ से ढकी रहने वाली चोटियों भी जनवरी तक खाली ही रहती हैं। सर्दियों में बर्फबारी कम होने को प्रदेश में विद्युत के उत्पादन से जोड़ कर भी देखा जाने लगा है। साथ ही ग्लेशियरों के सिकुड़ने की  स्थिति से भी राज्य में विद्युत उत्पादन के आकलन गड़बड़ा सकते हैं। राज्य विज्ञान एवंतकनीकी परिषद ने हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियरों को लेकर जो अध्ययन किया है वह चौंकाने वाला है। विज्ञान एवं तकनीकर परिषद के विशेषज्ञों ने शौन गंगा तथा जनपा ग्लेशियरों का अध्ययन किया। इसके बाद कुछ अन्य ग्लेशियरों का अध्ययन भी वैज्ञानिकों ने किया है। परिषद के विशेषज्ञों ने 1963 से 1997 तक के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अपना अध्ययन किया तथा निष्कर्ष निकाला है कि शौन गंगा ग्लेशियर  लगभग 1050 मीटर पीछे हट चुका है। चाहिर है कि यह ग्लेशियर हर साल तीस मीटर्र सिकुड़ रहा है। इसी तरह जनपा हिमखंड भी 1963 के मुकाबले 450 मीटर सिकुड़ ख्ुका है। हिमालयी क्षेत्र के इन ग्लेशियरों के सिकुड़ने की घटना से वैज्ञानिक चिंतित हैं। भू-वैज्ञानिकों  का मानना है कि प्रदेश में आम तौर पर जो ग्लेशियर मौजूद हैं वह घाटी में हैं और घाटी में स्थित हिमखड इतनी तेजी से नहीं सिकुड़ते। लिहाजा इसे ग्लोबल वार्मिंग से जोड़ कर देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों  का मानना है कि क्षेत्रीय जलवायु में हो रहा परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग दोनों की वजह से ही ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। एक ओर जहां इस क्षेत्र में ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं, वहीं झीलों में विस्तार हो रहा है।    -क्रमशः


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