दशमी तक चलेगी मां कालरात्रि की पूजा

कालीबाड़ी मंदिर में मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना का दौर, सप्तम नवरात्र पर राजधानी के मंदिरों में उमड़ी आस्था

शिमला –शिमला के प्राचीन कालीबाड़ी मंदिर में पिछले नौ दिनों से नवरात्र के पावन अवसर पर मां दुर्गा का नौ स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। इन दिनों मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त प्रसाद व चढ़ावा चढ़ा रहे हैं। साथ ही अपने परिवार के लिए मनोकामनाएं व आशीर्वाद मांग रहे हैं। शहर के सभी मंदिरों व घरों में भक्तों द्वारा विधिवत मां की पूजा की जा रही है। सप्तति के अवसर पर मां कालरात्रि की विशेष पूजा की गई। दिन में तीनों पहर विशेष पूजा की गई। कालीबाड़ी में दुर्गा पूजा मनाने की भी सदियों पुरानी परंपरा है और इस वर्ष भी मां काली के परिसर में दुर्गा पूजा की तैयारियां जोरों -शोरों से की जा रही है। मंदिर के वातावरण को एक ओर नवरात्र तो दूसरी ओर दुर्गा पूजा का आनंद अधिक भक्तिमय व आनंदमय बना देता है। बंगाली प्रतिष्ठान होने के कारण बंगाली परंपरा अनुसार षष्ठी यानी छठे नवरात्र से आरंभ हुई, जिसमें दुर्गा पूजा का विशेष महत्त्व है। इस दिन मां दुर्गा अपने पूरे परिवार गणेश ,कार्तिक ,लक्ष्मी और सरस्वती के साथ विराजमान होती है। उनकी पूजा-अर्चना के लिए विशेष तौर पर पंडाल का निर्माण किया जाता है। नवरात्र के दौरान दुर्गा व अन्य मूर्तियों को बहुत सुंदर रूप से संजाया गया है सुंदर साज श्रृंगार किया गया है। हल्दिया जिला के मूर्तिकार कमल चित्रकार व उनके पुत्र दीपू चित्रकार द्वारा मूर्ति निर्माण का कार्य दो मास पूर्व संपन्न कर दिया गया था और और अब सूखने की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद मूर्तिकारों ने मूर्तियों को अंतिम स्वरूप  देना शुरू कर दिया है। गंगा मिट्टी से निर्मित इन मूर्तियों के सूख जाने के बाद नवरात्र में  रंगों द्वारा सजीवता प्रदान की जा रही है और मूर्तियों के नयन- नख्श को आकार दिया गया है। वहीं, मंदिर के प्रधान पुजारी रेवती रमन चक्रवर्ती बताते हैं कि मां दुर्गा का पूजन छठे नवरात्र से कलश स्थापना की गई। आज मां कालरात्रि की विशेष पूजा की गई यह पूजा दशमी तक चलेगी।

नवरात्र पर शहर में जगह-जगह सजे भंडारे

नवरात्र के अवसर पर शिमला में जगह-जगह भक्तों के लिए भंडारों का आयोजन किया गया। वहीं, भक्त भी भंडारों में बढ़-चढ़कर पहुंचकर माता रानी का प्रसाद ग्रहण कर रहे हंै। इसके साथ ही भक्त मंदिरों में मां को भोग चढ़ाकर कन्या पूजन भी  कर रहे हंै।