देवमहाकुंभ से देवालय लौटे देवी-देवता

भगवान रघुनाथ जी की शोभा यात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय दशहरे का समापन

कुल्लू –विश्व में सबसे बडे़ देव समागम यानी अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का समापन रघुनाथ जी की भव्य शोभा यात्रा और लंका दहन के साथ हुआ। पवित्र रथ की डोर को स्पर्श कर हजारों लोगों ने अंतिम दिन पुण्य कमाया। इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा रथ खींचते हुए जय श्रीराम के उद्घोष भी गूंज उठे। तीन बजे लंका दहन के लिए भगवान रघुनाथ जी और देवी-देवता निकल पड़े। भगवान रघुनाथ जी और जिला के दूर दराज क्षेत्रों से आए 280 देवी-देवताओं के आशीर्वाद उत्सव शांति पूर्वक संपन्न हुआ। रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर से शुरू हुई रथ यात्रा कैटल मैदान तक पहुंची। इसके बाद कुल्लू के राज परिवार के सभी सदस्य रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह सहित लंकाबेकर की ओर बढ़े। देवी हिडिंबा भी लंकाबेकर गईं। यहां लंका जलाने की रस्म को निभाया गया और लंका दहन के प्रतीक के तौर पर झाडि़यों को जलाया गया। इस दौरान ढालपुर मैदान जय श्रीराम के उद्घोष से गूंजता रहा और सभी श्रीराम के जयकारों के साथ आगे बढ़ते गए। हजारों लोग दशहरा उत्सव के समापन मौके पर अधिष्ठाता रघुनाथ जी की रथ यात्रा के साक्षी बने। लंका दहन के बाद रघुनाथ जी का रथ कैटल मैदान से अस्थायी शिविर की ओर बढ़ने लगा और हजारों लोग रथ को खींच रहे थे। रघुनाथ जी की विशेष पूजा-अर्चना से शुरू हुई रथ यात्रा के हजारों लोग साक्षी बने और इस भव्य देव समागम को देखने के लिए देश-प्रदेश व विदेश के लोग आए हुए थे। देवालय पहुंचते ही सभी देवी-देवता के हारियान अपने आराध्यों का भव्य स्वागत करेंगे। वहीं, यहां देवताओं को अपने देवालयों को लौटता देख भक्तों की आंखे भी नम दिखी। सालभर अब एक बार फिर लोगों को अगले दशहरा उत्सव का इंतजार रहेंगा। जब फिर से सैकड़ों देवी-देवताओं के एक साथ दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।