देव ध्वनियों से गूंज उठा कुल्लू का कोना-कोना

रघुनाथ से मिलने को रवाना हुए घाटी के देवताओं ने लगाई रौनक

भुंतर –सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय देवसमागम कुल्लू दशहरा के लिए देवभूमि की रूपी और पार्वती घाटी के देवी-देवताओं का काफिला देवलुओं और ढोल-नगाड़ों की धुन पर जिला मुख्यालय के लिए निकला। घाटी के करीब दो दर्जन देवी-देवताओं द्वारा उत्सव के लिए गत दिन प्रस्थान किया था, तो कई देवताओं ने मंगलवार सुबह देवालयों के लिए कूच किया।  लिहाजा देवी-देवताओं के भगवान रघुनाथ के मिलन के लिए प्रस्थान करने के साथ ही कुल्लू में देवताओं का मेला लगा है। गत दिन के बाद मंगलवार को भी सुबह से ही रूपी और पार्वती घाटी के देवालयों में रौनक रही और देवलू यात्रा की तैयारियों में जुटे रहे। मंगलवार से आरंभ हुए दशहरा उत्सव के लिए जिला भर के सभी देवालयों के देवता निकले। जिला कुल्लू के प्रवेश द्वार भुंतर और कुल्लू में देवताओं की रौनक, ढोल नगाड़ों, करनाल, शहनाई, नरसिंगों की धुन से इलाके को संगीतमय बना दिया। कई किलोमीटर के पैदल सफर की थकान मिटाने के लिए देवताओं के काफिलों के साथ चलते देवलू कुल्लवी गानों की धुन पर जगह-जगह थिरकते भी नजर आए। भुंतर से होकर दिनभर देवताओं के काफिले गुजरने का सिलसिला चलता रहा। इस दौरान भुंतर, शमशी सहित विभिन्न स्थानों पर भक्तों ने इन देवताओं के समक्ष माथा भी टेका। मिली जानकारी के अनुसार दियार के देवता त्रियुगी नारायण, हवाई के देवता जमदग्रि ऋषि, नीणू के नारद मुनि, ज्येष्ठा के जगथम ऋषि, पालगी के देवता दुर्वासाऋषि, देवता ब्राधीवीर भलाण, कमला भगवती रोट की माता श्यामा काली, खोड़ू महाराज, देवता लक्ष्मी नारायण भलाण, पार्वती घाटी की माता चोंगासना, माता रूपासना, देवता बिजली महादेव, माता भागासिद्ध सहित कुछ अन्य देवताओं ने देवालयों से निकलकर कुल्लू के लिए प्रस्थान किया है। जिला में पहुंचकर देवताओं ने भगवान रघुनाथ के देवालय में जाकर देवमिलन किया तो राज परिवार से भी मिलन की प्रक्रिया को पूरा किया गया। देवी-देवता अपने-अपने अस्थायी शिविरों में रहेंगे और सात दिन तक देवप्रवास करेंगे। दियार के देवता त्रियुगी नारायण मंदिर समिति के प्रधान राजन शर्मा के मुताबिक देवता का सोमवार को ही देवालय से दशहरा उत्सव के लिए प्रस्थान हुआ था और अन्य देवता मंगलवार को भी कुल्लू के लिए निकले।