देश की सभी रियासतों में अद्वितीय था सिरमौर रियासत का बृजराज

By: Oct 21st, 2019 12:20 am

नाहन हाथी की कब्र स्मारक 105 वर्ष का इतिहास है समेटे

नाहन – रियासत कालीन नगरी नाहन शहर के ऐतिहासिक स्मारक उपेक्षा का शिकार है। वहीं हैरिटेज सिटी में इतिहास पर्यटन के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों को इन स्मारकों को देखकर खिन्नता भी आती है। रियासत कालीन नगरी नाहन मंे ऐसा ही एक स्मारक है बृजराज हाथी की कब्र जोकि नाहन-शिमला मार्ग पर स्थित है। इन दिनों उपेक्षा का शिकार है। यह कब्र उस शानदार हाथी का स्मारक है, जो कि सिरमौर के महाराजा शमशेर प्रकाश का बहुत ही प्रिय सफेद रंग का 11 फुट नौ इंच ऊंचाई का हाथी था। यह एक शिकारी सुंदर हाथी था जोकि तत्त्कालीन देश की सभी रियासतों में से एक अद्वितीय हाथी था। महाराजा सिरमौर शमशेर प्रकाश इस हाथी की सवारी कर शेर का शिकार के लिए निकलते थे जो कि आरण्य आखेट में अद्वितीय अद्भुत क्षमता का उदाहरण पेश करता था। वहीं इस शिकारी हाथी को बच्चों से खास लगाव रहता था। राज परिवार के सदस्य बताते हैं कि महाराजा शमशेर प्रकाश के इस हाथी की 53 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी। वहीं बृजराज को वृंदावन के सेठ लक्ष्मी चंद के यहां से 1914 में लाया गया था। बताते हैं कि सफेद हाथी की देश की अन्य रियासतों में भी कोई सानी नहीं था। नाहन के हाथी की कब्र के स्थानीय निवासी एवं सुप्रसिद्ध नाहन के फुटबालर डीआर स्वामी बताते हैं कि हाथी की कब्र एक रियासत कालीन स्मारक है। वहीं यहां पर बच्चों की मन्नत को लेकर अभिभावक आते हैं। माना जाता है कि बच्चों की चिकन पॉक्स और अन्य बुखार त्वचा बीमारियों में यहां की मांगी मन्नत पूरी होती है। वहीं यह भी रोचक है कि बच्चे ही इस स्थान की साफ-सफाई और पूजा अर्चना करते हैं। उन्होंने बताया कि मगर वर्तमान में इस ऐतिहासिक स्थल की उपेक्षा हो रही है। यहां न तो इस स्मारक के विषय में संषिप्त इतिहास बोर्ड पर्यटकों की जानकारी के लिए नगर परिषद द्वारा अन्य नाहन के स्मारकों की तर्ज पर लगाया गया है। वहीं द्वार पर भी कोई बोर्ड इसकी जानकारी प्रदर्शित करता नजर आता है। यही नहीं सफाई व्यवस्था चरमराने के साथ कूड़ादान का यार्ड बनकर रह गया है यह स्मारक। उन्होंने बताया कि यहां पर स्थापित पार्क के झूले टूट चुके हैं, जबकि स्मारक के कैंपस में कोई भी रोशनी का प्रबंध नहीं है। लिहाजा रियायत कालीन नाहन शहर के ऐतिहासिक स्मारकों को उबारने के लिए नगर परिषद और इतिहास प्रेमियों को पहल करनी अतिआवश्यक है।


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