धर्मशाला के कूड़े को नहीं ठिकाना

By: Oct 7th, 2019 12:03 am

 स्मार्ट सिटी में मेहमानों का वेलकम कर रहे गंदगी के ढेर

 सुंदरता को ग्रहण लगा रही सुधेड़ डंपिंग साइट की हालत सुधारने वाला कोई नहीं, निष्पादन संयंत्र का पुर्जा दस साल में भी नहीं हुआ ठीक 

धर्मशाला -अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले धर्मशाला शहर से अपनी गंदगी ही ठिकाने नहीं लग रही। लगभग दो दशक से शहर के लिए सिरदर्द बनी सुधेड़ डंपिंग साइट की हालत सुधारने में सरकारें, स्थानीय विधायक, नगर परिषद, नगर निगम और अब स्मार्ट सिटी धर्मशाला तक कामयाब नहीं हो पाए हैं। हैरत का ही विषय है कि अंतरराष्ट्रीय केंद्र बन चुका धर्मशाला अपने कूड़े-कचरे के ढेर के आगे दबता हुआ सा नज़र आ रहा है। बावजूद इसके कोई कारगर कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं, जो कि सरकार, प्रशासन, एमसी और विभागों पर कई बड़े सवाल उठाता है। पर्यटन, खेल, बौद्ध नगरी को अब स्मार्ट सिटी का तमगा भी मिल चुका है और प्रदेश की दूसरी राजधनी के नाम से भी धर्मशाला को जाना जाता है, लेकिन धर्मशाला शहर में दो दशक से सुधेड़ स्थित डंपिग साइट खूबसूरती पर बड़ा ग्रहण लगाकर बैठी हुई है। शहर में कूड़े का ढेर अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटकों और लोगों का स्वागत करता है, लेकिन कूड़े-कचरे का निष्पादन ही नहीं किया जाता है, जिस कारण गंदी बदबू, महीनों तक आग लगने से मोनोऑक्साइड गैस शहर की ताजा हवा में घूलकर प्रदूषित कर बड़े संक्रमण का भी कारण बनती है, लेकिन अब तक सरकारें, स्थानीय विधायक, नगर निगम धर्मशाला के जनप्रतिनिधि और अधिकारी कोई भी स्थायी समाधान नहीं ढूंढ पाए हैं। इतना ही नहीं, दो माह पूर्व खाद बनाने के लिए लाखों रुपए की मशीन भी डंपिंग साइट में स्थापित कर दी गई है। बावजूद इसके बरसात होने के कारण मशीन फिर से कूड़े के ढेर में मात्र कबाड़ बनकर ही रह गई है। इससे पहले भी लगभग एक दशक पहले चंडीगढ़ की कंपनी द्वारा कूड़ा निष्पादन संयत्र लगाया गया था, लेकिन लाखों की वह मशीनरी कभी शुरू ही नहीं हो पाई। उसका खराब पुर्जा नगर परिषद के समय लगभग दस वर्ष पहले खराब हुआ था, जो कि नगर निगम और स्मार्ट सिटी बनने के बाद भी दुरुस्त नहीं हो पाया। हालांकि वह मशीन खुद ही कबाड़ बनकर कूड़े के ढेर में परिवर्तित जरूर हो गई। अब ऐसा ही डर लोगों को एक बार फिर सताने लगा है।

गेट पर बोर्ड लगा है स्वच्छ भारत

अब डंपिंग साइट के गेट में अच्छा दिखने वाला बोर्ड लगा दिया गया है, जिसमें लिखा है ‘स्वच्छ धर्मशाला’, लेकिन गंदगी के बोझ तले दबे डंपिंग एरिया को स्वच्छ करने की जहमत कोई नहीं उठा पाता। यह भी एक बड़ा सवाल है। हालांकि डंपिंग साइट के विरोध में सुधेड़ पंचायत के स्थानीय लोगों व महिला मंडल ने बड़ा धरना-प्रदर्शन किया था। साथ ही शिकायत भी शिमला हाई कोर्ट और एनजीटी में भेजी थी, जिसके बाद डंपिंग साइट शिफ्ट करके क्लस्टर स्तर पर डंपिंग साइट बनाने पर भी विचार चला, लेकिन वह भी सरकार व विभागों की फाइलों में दफन होकर रह गया। एक बार फिर धर्मशाला में चुनाव आए हैं, तो स्थानीय लोगों को हवा-हवाई बातें करके उलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत से जुड़े हुए लोग प्रतिनिधियों और सरकारों से सवाल उठा रहे हैं। स्थानीय लोगों में से नीलम देवी, निर्मला देवी, डा. बीपी महाजन, दिनेश कुमार, सतीश चौधरी, विद्या देवी, ओंकार सिंह, दिलीप कुमार और अमित कुमार का कहना है कि सरकार, प्रशासन और एमसी धर्मशाला को इस गंभीर विषय पर सोचना चाहिए।

यहीं फेंका जा रहा 17 वार्डों का 25 टन कचरा

नगर निगम धर्मशाला में 17 वार्ड हैं। प्रतिदिन 25 टन से भी अधिक कूड़ा-कर्कट शहर से निकलता है, जो पुरानी डंपिंग साइट में ही फेंका जा रहा है। धर्मशाला शहर की पुरानी डंपिंग साइट सुधेड़ पूरी तरह बदहाल है। इसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है। जिस जगह डंपिंग साइट है, उस स्थान से नीचे बहने वाले नाले का पानी भी इससे दूषित हो रहा है।

 


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