नारी शक्ति के सम्मान की याद दिलाता है नवरात्र पर्व

By: Oct 5th, 2019 12:22 am

भारत अध्यात्म प्रधान देश है जिसकी सभ्यता और श्रेष्ठता हमारे त्योहारों मंे झलकती है। श्रीमद्भागवत गीता में कहा गया है ब्रह्मा का दिन और ब्रह्मा की रात्रि। सतयुग त्रेता को ब्रह्मा का दिन तथा द्वापुर और कलियुग को ब्रह्मा की रात्रि कहा जाता है। जब संसार में अज्ञानता का अंधकार छा जाता है, उस समय परमात्मा संसार में शक्तियों की उत्पत्ति करते हैं जिससे ये अंधकार समाप्त हो और मनुष्य जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैल सके। नवरात्र में मनुष्य देवियों का पूजन करते हैं, इसके साथ ही कलश स्थापना, अखंड ज्योति जलाना, व्रत करना तथा कन्या पूजन करने की परंपरा है। इन सबके पीछे आध्यात्मिक रहस्य है। कलश स्थापना अर्थात परमात्मा बुद्धि में ज्ञान का प्रकाश करते हैं जिससे ज्ञान का प्रकाश जीवन में आ जाता है। अखंड ज्योति अर्थात ज्ञान का घृत जब आत्मा में पड़ता है, तो आत्म ज्योति जाग्रत हो जाती है। व्रत का अर्थ है जीवन में दृढ़ संकल्प।

कन्या पूजन का अर्थ है कन्याओं का सम्मान करना। इससे परमात्मा भी प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है जिस घर में कन्याओं का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं। उस परिवार में दिव्यता आ जाती है। घर धन-धान्य से संपन्न हो जाते हैं। इस अवसर पर मां दुर्गा, लक्ष्मी तथा सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। दुर्गा अर्थात दुर्गुणों का नाश करने वाली। जब दुर्गुण दूर होते हैं, तो जीवन चरित्र श्रेष्ठ बनता है। श्रेष्ठ सभ्यता, संस्कृति आने लगती है। ऐसे दिव्य जीवन में लक्ष्मी का आगमन होता है। ऐसे सद्गुणों के जीवन में आने से मां सरस्वती का आगमन होता है यानी ज्ञान का संचार होता है, तो व्यक्ति जीवन की उच्च्यता को प्राप्त कर लेता है। शक्ति धन तथा ज्ञान इन तीनों का कोई आराध्य देवता नहीं है, बल्कि देवियां हैं। इसलिए इन तीन देवियों की सबसे अधिक पूजा होती है। इन देवियों को बहुत सजी-धजी सुसज्जित दिखाया जाता है। इनके पीछे प्रकाश का आभा मंडल होता है, जो उनकी पवित्रता को दर्शाता है। अनेक आभूषणों से शाृंगार यानी दिव्य गुणों से सुसज्जित तथा शेर पर सवारी अर्थात निर्भयता तथा प्रकृतिजीत होने का प्रतीक है। मां दुर्गा को अष्टभुजाधारी दिखाया जाता है, जिसका अर्थ है उनके पास अष्ट शक्तियां भी उनके हर हाथ में एक शस्त्र दिखाया जाता है, जिसका आध्यात्मिक अर्थ इस प्रकार है। एक हाथ में गदा है अर्थात दृढ़ता के साथ बल शक्ति का होना। तलवार तीखी धार वाली होती है उसके एक ही झटके में महिषासुर का बध दिखाते हैं यानी आपके भीतर अवगुणों को एक ही झटके में खत्म करना। तीर कमान का अर्थ है जीवन में एक लक्ष्य पर टिककर कार्य करना। कमल का फूल देवी की पवित्रता को दर्शाता है। एक हाथ में दीप आत्म जागृति का प्रतीक है। शंख जागृति का प्रतीक है। स्वदर्शन चक्र इस बात का प्रतीक है कि दूसरों का चिंतन दर्शन करने के स्थान पर स्वयं के चिंतन पर ध्यान देकर अपने जीवन को श्रेष्ठतम बनाया जाए। एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में यह दर्शाता है कि सामने वाला हमारे बारे में कैसे भी विचार धारण करते हुए  अपने जीवन के ज्ञान को श्रेष्ठ चरित्र की ओर ले जाएं। इस  तरह हमें सही अर्थों में खुशी, सुख शांति तथा समृद्धि प्राप्त होगी।   

– नरेंद्र कौर छाबड़ा, औरंगाबाद


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