पराली जलाई, तो शामत आई

By: Oct 14th, 2019 12:02 am

पंजाब में कैप्टन अमरेंदर सरकार ने ठेके पर भूमि देने वालों को जारी किए निर्देश

चंडीगढ़ – पंजाब सरकार ने ठेके  पर जमीन देने वाले जमीन मालिकों को कहा कि वह अपने खेतों में पराली जलाने की कोई भी घटना न घटने देने को यकीनी बनाएं। कृषि सचिव काहन सिंह पन्नू ने बताया कि पंजाब में कृषि जमीन का लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्रफल एनआरआई पंजाबियों या शहरी क्षेत्रों में रहते लोगों के स्वामितत्व वाला है और यह लोग प्रति एकड़ 40,000 से लेकर 55,000 रुपए ठेका ले रहे हैं। इस कारण इन लोगों की अपने खेतों में पराली जलाने से रोकने की बराबर की जिम्मेदारी बनती है। श्री पन्नू ने कहा कि यदि इन लोगों के खेतों में आग लगने की घटना घटती है, तो इसको सीधे तौर पर सरकार के आदेशों का उल्लंघन मानते हुए जमीन मालिकों के विरुद्ध कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जमीन मालिकों से अपील की कि उनकी जमीन ठेके पर जोतने वाले काश्तकारों के लिए ठेके की रकम कुछ कम करने और उनको पराली जलाने की बजाय खेतों में मिला देने के लिए प्रेरित करें जिससे जमीन की सेहत में सुधार होने के साथ-साथ पर्यावरण को बचाया जा सकेगा। गौरतलब है कि वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) एक्ट-1981 की धारा 19 (5) के अंतर्गत राज्य भर में पराली जलाने पर मुकम्मल पाबंदी है। इसी तरह जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा भी सीआरपीसी की धारा 144 के अंतर्गत जिला स्तर पर पराली जलाने पर पहले ही रोक लगाई हुई है। कृषि सचिव ने बताया कि पराली जलाने की समस्या पर रोक लगाने के लिए डिप्टी कमिश्नरों को अपने संबंधित जिलों में गांव स्तर पर तैनात नोडल अफसरों के द्वारा जमीन मालिकों की सूची तैयार करने के लिए कहा गया है। इन नोडल अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि वह ठेके पर जमीन देने वाले व्यक्तियों के साथ संपर्क करके उनको पराली न जलाने संबंधी जारी हिदायतों की पालना करने के लिए जोर डालें। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह यकीनी बनाना है कि उनके खेतों में पराली जलाने की कोई घटना न घटे क्योंकि पराली जलने से बड़े स्तर पर प्रदूषण होता है, जो पर्यावरण के साथ साथ दूसरे जीवित प्राणियों के लिए बेहद खतरनाक है।


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