पशुपालन विभाग का सबसे पुराना फार्म बंद

जमीन न मिलने की वजह से लिया फैसला, सभी गउएं भी नीलाम

बिलासपुर –बिलासपुर के कोठीपुरा में आल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) के लिए जमीन का अधिग्रहण होने के बाद पशुपालन विभाग के वर्षों पुराने फार्म को बंद कर दिया गया है। बिलासपुर शहर व आसपास क्षेत्र में उपयुक्त जमीन उपलब्ध न होने के चलते यह निर्णय लिया गया। फार्म मंे पल रही सभी गउओं की नीलामी करने के बाद वहां कार्यरत स्टाफ को भैंस की मूर्रा प्रजाति के ऊना फार्म मंे शिफ्ट कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक एम्स का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद काफी समय से पशुपालन विभाग के इस फार्म को शिफ्ट करने को लेकर योजनाएं बन रही थी, लेकिन उपयुक्त जमीन की उपलब्धता न होने की वजह से कोई भी योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। पहले बिरोजा एवं तारपीन फैक्टरी में बंद पड़ी गत्ता फैक्टरी में इस फार्म को शिफ्ट करने के लिए योजना बनाई गई थी, लेकिन जमीन कम होने के चलते बात आगे नहीं बढ़ पाई। इस बीच स्वारघाट क्षेत्र में भी खाली पड़ी सरकारी जमीन पर इस फार्म को शिफ्ट करने पर विचार हुआ, मगर यह भी सिरे नहीं चढ़ पाया। हालांकि  धारटटोह पंचायत क्षेत्र मंे खाली पड़ी सरकारी जमीन पर इस फार्म को शिफ्ट करने को लेकर प्रक्रिया चली, लेकिन जमीन की एफसीए क्लीयरेंस के लिए एक लंबा वक्त लगने की वजह से यह योजना भी धरी की धरी रह गई। यहां बता दें कि धारटटोह मंे 200 बीघा सरकारी जमीन उपलब्ध है, जिसमंे से 100 बीघा मंे गो-अभ्यारण्य का निर्माण किया जाएगा तो वहीं, शेष 100 बीघा में पशुपालन विभाग के कोठीपुरा फार्म को शिफ्ट करने के लिए कवायद शुरू की गई थी। जमीन की क्लीयरेंस को लेकर कार्रवाई जारी है, जिसके चलते एफसीए क्लीयरेंस के लिए ज्यादा वक्त लगने के चलते फार्म को धारटटोह शिफ्ट करने की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। उपयुक्त जमीन के अभाव के चलते इस फार्म को बंद करने का निर्णय लिया गया। बताते चलें कि पशुपालन विभाग के कोठीपुरा फार्म में सात क्लास फोर, दो फार्मासिस्ट, जबकि प्रभारी के तौर पर एक वैटरिनरी आफिसर कार्यरत हैं। फार्म के बंद होने के बाद स्टाफ को भैंस की मूर्रा प्रजाति के ऊना फार्म में शिफ्ट कर दिया गया है। बीती 16 अक्तूबर को फार्म मंे पल रही 33 गउओं की नीलामी रखी थी और नीलामी प्रक्रिया के तहत सभी गउओं की नीलामी हो गई हैं। स्टाफ शिफ्ट करने के साथ ही इस फार्म को बंद कर दिया गया है।