पार्षदों के रवैये से खफा होकर वॉकआउट

चंडीगढ़ –चंडीगढ़ नगर निगम सदन में पहली बार निगम आयुक्त ने पार्षदों के रवैये से खफा होकर वॉकआऊट किया। पार्षदों द्वारा उनके वार्डों में विकास के काम न होने पर निगमायुक्त केके यादव पर सदन में सवाल दागने शुरू किए, तो एक पार्षद की भाषा से खफा होकर निगमायुक्त सदन से बाहर चले गए। बताया जाता है कि वह निगम सदन से बाहर जाने के तुरंत बाद ही चंडीगढ़ के प्रशासक सलाहकार के पास गए। सूत्रों के अनुसार सलाहकार ने तुरंत ही महापौर को फोन किया व मामला निपटाने के निर्देश दिए। हालांकि बाद में महापौर राजेश कालिया ने इस बात से इनकार कर दिया कि उन्हें मामला निपटाने के लिए कहीं से कोई निर्देश मिले। उनका कहना था कि यह उनके घर की बात थी व उन्होंने आपसी सहमति से निपटा ली।  सदन की बैठक में जब रुके विकास कार्यों पर चर्चा हो रही थी, तो भाजपा पार्षद अनिल दुबे ने आयुक्त से कह दिया कि न तो निगम के अधिकारी स्पॉट पर जाकर विकास कार्य को देखते हैं और काम करवाने को कहें तो  बताते हैं कि फाइल मुख्य अभियन्ता के पास है, वहां जाएं तो कहते हैं कि फाइल आयुक्त के पास है। इस पर आयुक्त ने कह दिया कि आप एक दिन आयुक्त की कुर्सी पर बैठों व हम प्रशासक को कह देते हैं कि आयुक्त के पद की पावर पार्षदों को दे दें। इस पर दुबे ने कहा कि आप तो एक बार आईएएस बनकर इन पदों पर बैठ जाते हैं, पर जनप्रतिनिधि को तो हर पांच वर्ष बाद परीक्षा देनी पड़ती है। इस पहले कांग्रेस के  दविंद्र बबला ने फिर अरुण सूद, आशा जायसवाल ने मुद्दा उठाया था व वह भी विकास कार्य न होने के आरोप आयुक्त व निगम अधिकारियों पर लगा रहे थे। निगमायुक्त ने बार-बार  कहा कि सदन की मर्यादा का पालन करें, लेकिन मामला गरमा जाने पर निगमायुक्त अपने अधिकारियों के साथ सदन की बैठक से वॉकआउट कर गए। इस बार सत्तापक्ष के साथ विपक्ष ने निगम अधिकारियों को आड़े हाथों लेने में एक-दूसरे का जमकर साथ दिया। आग में घी का काम भाजपा की गुटबाजी ने भी किया। सदन की बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने विकास के काम रुके होने का मुद्दा उठा दिया व फिर हंगामा शुरू हो गया।