पुराणे टैमां रीयां यादां नी पुलदियां

बिलासपुर –अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद व कहलूर सांस्कृतिक परिषद के संयुक्त तत्त्वावधान में रविवार को पालिका क्लब में साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें शिवपाल गर्ग मुख्यातिथि व कमांडेंट नवल किशोर ने अध्यक्षता की। सुखराम आजाद व कमांडेंट सुरेंद्र बतौर विशेष अतिथि उपस्थित रहे। रविंद्र भट्टा ने मंच संचालन किया। सर्वप्रथम मशहूर रंग कर्मी रामराल पुंडीर के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धाजंलि अर्पित की गई। इसके बाद सुरेंद्र गुप्ता ने दिवाली का बदलता स्वरूप तथा प्रदीप गुप्ता ने भुजंग देव की दिवाली विषय पर पत्रवाचन किया। जिसे सभी ने मुक्त कंठ से सराहा। रामपाल डोगरा ने- न मिली बाजार में न मिली मधुशाला में कविता सुनाई। इसके बाद प्रतिभा शर्मा ने मछुआरों मछलियां नहीं मगरों को पकड़ो तथा ओ प्यारे मोहणया, ओ दिला रे पोलया-ओंकार कपिल ने काली घघरी लयायां-जीतराम सुमन ने-जिथी देखो उत्थी जगराते सजदे, देवतेया जो भी घरे सददे- डा. एआर सांख्यान -दुनियां जगी इंतजार में तेरे, चांद के घर जाने से तथा जिंदगी और कुछ नहीं वीरों की कहानी है। कुलदीप चंदेल ने-बेड़ी घाट की रौनक आती है याद.. डा. जय नारायण कश्यप ने-जाने कौन घड़ी किसे ले जाए यमराज, मौत का ठिकरा पडे़ डा. के सिर तथा उच्चिया डवारिया ते कुगु बोलदा- हमीद खान ने-दिल लुटी लया इक अनजाणे नौ नी पता मिंजों, से जादां बरमाणे तथा अंखा गल्लां कितियां दिले फोटो खिंजया, हाऊं मुआं एड़ा नौ भी नी पुछया-अश्वनी सुहील ने-मेरा कोई भी दोष बुढ़ा नहीं हुआ है- हुसैन अली ने-प्लास्टिक पटाखों का करना अब बंद उपयोग – श्याम सहगल ने गजल सुनाई -बोल थे वो जो मिल गया उसे याद रख , मैं तो गुम था तेरे ही ज्ञान में- तरुण टाडू ने- कार्तिक मास का महत्त्व बताते हुए दिवाली के त्योहार को लेकर यूं फरमाया कथा है इक संयासी की, सान्यासी अविनाशी की -रविंद्र भट्टा ने पुराणे टैमां रीयां यादा नी पुलदियां- सुरेंद्र शर्मा ने घेरने लगे जब मुझे अंधेरे तुम बिजली बन चमक जाना-नवल किशोर ने -इधर आम आदमी की जेब है खाली, उधर मुस्कराकर चिढ़ाने आई है दिवाली पेश किया। इसी प्रकार सुखराम आजाद ने – कितनी केढी लगुरी हो, लगुरिया री पीड़ बुरी, रांझे ते बिछडदी हीर बुरी, कंदा जो पौदी तीड़ बुरी। इस अवसर पर मुख्यातिथि शिव पाल गर्ग ने अपने संबोधन में कहा कि इस संगोष्ठी में एक से बढ़कर एक कविताएं सुनने को मिली तथा पत्रवाचन भी गजब के थे।